सम सीमांत उपयोगिता का नियम Notes in Hindi ~ OSG Academy

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सम सीमांत उपयोगिता का नियम

सम सीमांत उपयोगिता का नियम

➤सम सीमांत उपयोगिता के नियम के अनुसार एक उपभोक्ता अपनी आय को विभिन्न वस्तुओ पर खर्च करके अधिकतम संतुष्टि या संतुलन की स्थिति प्राप्त कर सकता है।
➤उपभोक्ता के संतुलन की स्थिति वह अवस्था है जिसमे एक उपभोक्ता अपनी सीमित आय से अधिकतम संतुष्टि प्राप्त कर रहा है।
➤इस नियम की व्याख्या 19वीं शताब्दी में फ्रेंच अर्थशास्त्री गोसेन के द्वारा किया गया था।
➤इसलिए इसे गोसेन का द्वितीय नियम कहा जाता है।
➤प्रो. मार्शल ने इसे सम सीमांत उपयोगिता का नियम कहा है।
➤इस नियम के अनुसार एक उपभोक्ता को अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करने के लिए विभिन्न वस्तुओ पर अपनी सीमित आय इस प्रकार खर्च करनी चाहिए की प्रत्येक वस्तु पर खर्च किए जाने वाले अंतिम रुपए से मिलने वाली सीमांत उपयोगिता बराबर हो।
प्रो. मार्शल : यदि किसी व्यक्ति के पास ऐसी वस्तु है जिसे वह विभिन्न प्रकार से प्रयोग कर सकता है तो वह तो इसका अनेक प्रयोगों में इस प्रकार वितरण करेगा कि इसकी सीमांत उपयोगिता प्रत्येक में बराबर हो।
मैकोनल : सम सीमांत उपयोगिता नियम बतलाता है कि उपयोगिता अधिकतम करने के लिए उपभोक्ताओं द्वारा अपनी सीमित आय का बंटवारा विभिन्न वस्तुओं में इस प्रकार किया जाना चाहिए की सभी वस्तुओं के अंतिम इकाई के उपभोग से प्रति डॉलर सामान सीमांत उपयोगिता प्राप्त हो।
सैम्युल्सन : एक उपभोक्ता उस समय अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करता है जब सभी वस्तुओं की सीमांत उपयोगिता तथा उनके कीमतों का अनुपात बराबर होता है।
➡️यदि वस्तुओ की कीमतें समान है तो उपभोक्ता की अधिकतम संतुष्टि को निम्न समीकरण द्वारा प्रकट किया जाता है -
     जहां, 
  • MU1 = पहली वस्तु की सीमांत उपयोगिता।
  • MU2 = दूसरी वस्तु की सीमांत उपयोगिता।
  • MU3 = तीसरी वस्तु की सीमांत उपयोगिता।
  • P1 = पहली वस्तु की कीमत।
  • P2 = दूसरी वस्तु की कीमत।
  • P3 = तीसरी वस्तु की कीमत।

सम सीमांत उपयोगिता नियम की व्याख्या

➤एक व्यक्ति की आय 5 रुपए है जो दो वस्तु आम तथा पर खर्च करता है। प्रत्येक वस्तु की कीमत 1 रुपए दी गई है।
➤एक उपभोक्ता आमों पर 1 रुपए खर्च करता है जिससे उसे 12 इकाई उपयोगिता प्राप्त होती है।
➤दूध पर खर्च किए गए पहले रुपए से 10 इकाई उपयोगिता प्राप्त होती है।
➤आमों की दूसरी इकाई के लिए उपभोक्ता 1 रुपए खर्च करता है जिससे 10 इसकी उपयोगिता मिलती है।
➤दूध पर एक और रुपए खर्च करने से 8 इकाई उपयोगिता मिलती है।
➤बाकी 1 रुपए आमों पर खर्च करने से 8 इकाई उपयोगिता प्राप्त होती हैं।
➤अतः उपभोक्ता 3 रुपए आमों पर तथा 2 रुपए दूध पर खर्च करता है जिससे अंतिम इकाई से प्राप्त सीमांत उपयोगिता (8) बराबर होती है।
🔹आमों पर 3 रुपए खर्च करने से प्राप्त उपयोगिता = 12+10+8=30
🔹दूध पर 2 रुपए खर्च करने से प्राप्त उपयोगिता = 10+8=18
🔹कुल उपयोगिता (TU) = 30+18=48 इकाई।
➤उपर्युक्त चित्र में X अक्ष पर आम तथा दूध के रूपयो की इकाई तथा Y अक्ष पर पर उपयोगिता को दर्शाया गया है।
➤उपभोक्ता आमों पर 3 रुपए तथा दूध पर 2 रुपए खर्च करता है जिससे प्राप्त होने वाली अंतिम सीमांत उपयोगिता बराबर होती है जो 8 इकाई है।
➤अगर उपभोक्ता आमों पर 4 रुपए खर्च करता है तो वह 12+10+8+6 = 36 इकाई उपयोगिता प्राप्त करता है।
तथा दूध पर 1 रुपए खर्च करने से उसे 10 इकाई उपयोगिता प्राप्त होती है।
➤कुल उपयोगिता (TU) = 36+10=46.
➤अतः उपभोक्ता को 2 इकाई कम उपयोगिता प्राप्त होती है।
➤उपभोक्ता को आमों की 6 इकाई अधिक अर्थात् क्षेत्रफल ABCD के बराबर उपयोगिता प्राप्त होती है।
➤उपभोक्ता को दूध की 8 इकाई का कम अर्थात् क्षेत्रफल EFGH के बराबर उपयोगिता प्राप्त होती है।

सम सीमांत उपयोगिता नियम की मान्यताएं

1. उपयोगिता को गणनावाचक संख्या में मापा जा सकता है।
2. उपभोक्ता विवेकशील है अर्थात वह अपनी आय से अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करना चाहता है।
3. उपभोक्ता की आय स्थिर हो।
4. मुद्रा की सीमांत उपयोगिता स्थिर हो।
5. वस्तुओं की कीमतें स्थिर हो।
6. वस्तुएं विभाज्य हो। अर्थात उपभोक्ता अपनी आय को एक एक रुपए करके खर्च कर सकता है।
7. घटती सीमांत उपयोगिता का नियम लागू होता हो।

सम सीमांत उपयोगिता नियम की आलोचनाएं

  1. माप संबंधी कठिनाई।
  2. उपभोक्ता की अज्ञानता एवं विवेकशील व्यवहार का अभाव।
  3. अविभजय वस्तुएं।
  4. रीति रिवाज एवं फैशन का प्रभाव।
  5. वस्तुओ के मूल्य में परिवर्तन।
  6. अज्ञानता, आलाश्य तथा लापरवाही।

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