पूर्ण प्रतियोगिता बाजार : अर्थ व परिभाषा, विशेषताएं, कीमत निर्धारण, फर्म संतुलन, अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन संतुलन।
परिभाषा
➡️पूर्ण प्रतियोगिता बाजार की वह स्थिति है जिसमें क्रेता और विक्रेता की अधिक संख्या होती है , उनमें पूर्ण एवं स्वतंत्र प्रतियोगिता पाई जाती है और कोई भी क्रेता या विक्रेता वस्तु विशेष की कीमत को अपने क्रय विक्रय के द्वारा प्रभावित नहीं कर सकता है।
श्रीमती जॉन रॉबिंसन - पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति उस समय पाई जाती है जबकि प्रत्येक उत्पादक के उत्पादन की मांग पूरी तरह लोचदार होती हैं।
प्रो. फर्गुसन - एक उद्योग पूर्ण प्रतियोगिता वाला तब होता है जब समस्त बाजार की तुलना में प्रत्येक क्रेता तथा विक्रेता इतना छोटा होता है कि वह अपनी खरीद अथवा उत्पादन में परिवर्तन करके कीमत को प्रभावित नहीं कर सकता है।
मार्शल - बाजार जितना अधिक पूर्ण होगा उतना ही उसके सभी भागों में किसी एक वस्तु के लिए एक समय पर एक ही कीमत चुकाई जाने की प्रवृत्ति पाई जाएगी।
विशेषताएं या दशाएं
1. अधिक क्रेता एवं विक्रेता :
➡️ पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में क्रेता एवं विक्रेता अधिक मात्रा में होते हैं।
2. समरूप वस्तु का होना :
➡️पूर्ण प्रतियोगिता के अंतर्गत सभी फर्मों द्वारा उत्पादित वस्तुओं रूप, रंग, आकार तथा गुण में एक समान होती है।
➡️ वस्तु विभेद नहीं पाया जाता है।
3. फर्मों का प्रवेश तथा बहिर्गमन स्वतंत्र :
➡️इससे बाजार में कोई भी नई फर्म प्रवेश कर सकती है।
➡️ इस उद्योग में उपस्थित फार्म उद्योग को छोड़कर उत्पादन बंद कर सकती हैं।
4. पूर्ण ज्ञान :
➡️ क्रेताओ और विक्रेताओं को बाजार का पूर्ण ज्ञान होता है।
5. विक्रय लागत आभाव :
➡️पूर्ण प्रतियोगिता में विक्रेता विज्ञापन, प्रचार में खर्च नहीं करता है।
6. एक समान कीमत :
➡️पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में वस्तु की एक कीमत पाई जाती है।
7. कृत्रिम प्रतिबंधों का आभाव :
➡️किसी भी प्रकार का निर्णय बाजार की शक्तियों द्वारा लिया जाता है कोई बाह्य प्रतिबंध नहीं होता है।
8. साधनों की पूर्ण गतिशीलता :
➡️इससे बाजार में वस्तुओं एवं सेवाओं तथा साधनों में पूर्ण गतिशीलता पाई जाती है।
9. परिवहन लागतों का अभाव :
➡️इस बाजार में वस्तु की यातायात लागत का कीमत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
10. क्षैतिज औसत आगम वक्र :
➡️पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में औसत आगम तथा सीमांत आगम बराबर होते हैं जो कि X अक्ष के समानांतर होते हैं जो पूर्णता लोचदार मांग को दर्शाते हैं।
11. दीर्घकाल में केवल सामान्य लाभ :
➡️ पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में किसी फर्म को दीर्घकाल में केवल सामान्य लाभ प्राप्त होता है।
कीमत निर्धारण
➡️ किसी वस्तु के कीमत का निर्धारण उस बिंदु पर होता है जहां वस्तु की मांग एवं पूर्ति बराबर होते हैं।
फर्म संतुलन
1.कुल आगम तथा कुल लागत रीति :
शर्त -
- कुल आगम तथा कुल लागत बराबर हो।
- कुल लागत कुल आगम को नीचे से काटता है।
C = फर्म संतुलन
BT = अधिकतम लाभ।
2. सीमांत आगम तथा सीमांत लागत रीति
शर्त -
- सीमांत आगम तथा सीमांत लागत बराबर हो।
- सीमांत लागत सीमांत आगम को नीचे से काटता हो।
B = फर्म संतुलन।
AB = अधिकतम लाभ।
अल्पकालीन संतुलन
1.असामान्य लाभ :
➡️जब AR > AC
AC < AR हो।
➡️जब औसत आगम औसत लागत से अधिक होता है तो फर्म को असामान्य लाभ प्राप्त होता है।
2.सामान्य लाभ :
➡️ जब AR = AC हो, जब औसत आगम औसत लागत के बराबर होता है तो फर्म को सामान्य लाभ प्राप्त होता है।
3. हानि :
➡️जब, AC > AR, जब अवसर लागत औसत आगम से अधिक होता है तो फर्म को हानि होती है।
दीर्घकालीन संतुलन
सामान्य लाभ :
जब, AC = AR हो, दीर्घकाल में फर्म को सामान्य लाभ प्राप्त होता है जब औसत लागत और औसत आगम बराबर हो जाते हैं।