हड़प्पा सभ्यता की धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन - हड़प्पा सभ्यता - प्राचीन भारतीय इतिहास Pdf Download
Table of Contents 👇
सामाजिक जीवन 🔥
➤ इस सभ्यता के लोग युद्धप्रिय कम, शान्तिप्रिय अधिक थे।
➤ स्त्री मृण्मूर्तियाँ अधिक प्राप्त होने से ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि इस सभ्यता में मातृसत्तात्मक परिवार प्रचलित प्रथा थी।
➤ समाज व्यवसाय के आधार पर विभाजित था-विद्वान, व्यापारी, योद्धा, शिल्पकार और श्रमिक।
➤ भोजन के रूप में इस सभ्यता के लोग गेहूँ, जौ, खजूर एवं भेड़, सुअर, मछली का सेवन करते थे।
➤इस प्रकार इस सभ्यता के लोग शाकाहारी एवं मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन करते थे।
➤ घर में बर्तन के रूप में मिट्टी एवं धातु के बने बर्तन प्रयोग में लाये जाते थे।
➤ पुरुष वर्ग दाढ़ी एवं मुछें रखते थे।
➤आभूषण में कंठाहार, भुजबंद, कर्णफूल, छल्ले, चूड़ियाँ, करधनी, पाजेब आदि प्राप्त हुए हैं जिन्हें स्त्री-पुरुष दोनों पहनते थे।
➤ मनोरंजन के साधनों में मछली पकड़ना, शिकार करना, पशु-पक्षियों को आपस में लड़ाना, चौपड़ एवं पासा खेलना प्रमुख था।
राजनीतिक जीवन 🔥
➤ ऐसा माना जाता है कि हड़प्पा सभ्यता किसी केन्द्रीय शक्ति से संचालित होती थी।
➤यद्यपि अभी तक यह विवाद का विषय बना हुआ है, फिर भी हड़प्पा सभ्यता के लोगों का वाणिज्य की ओर अधिक झुकाव था, इसलिए ऐसा माना जाता है कि सम्भवत: इस सभ्यता का शासन वणिक वर्ग के हाथों में ही था।
➤ हड़प्पा सभ्यता के शासन के सम्बद्ध में विभिन्न विद्वानों ने भिन्न-भिन्न मत दिये हैं।
➤ ह्वीलर ने सिन्धु प्रदेश के लोगों के शासन को मध्यम वर्गीय जनतन्त्रात्मक शासन कहा और उसमें धर्म की महत्ता को स्वीकार किया है।
➤ स्टुअर्ट पिग्गॉट के अनुसार सिन्धु प्रदेश के शासन पर पुरोहित वर्ग का प्रभाव था।
➤ हंटर के अनुसार मोहनजोदड़ो का शासन राजतन्त्रात्मक न होकर जनतन्त्रात्मक था।
➤ मैक के अनुसार मोहनजोदड़ो का शासन एक प्रतिनिधि शासक के हाथों में था।
आर्थिक जीवन 🔥
➤ कृषि तथा पशुपालन के साथ-साथ उद्योग व्यापार इस सभ्यता की अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधार थे।
➤ यहाँ के प्रमुख खाद्यान्न गेहूँ तथा जौ थे।
➤खुदाई में गेहूँ तथा जौ के दाने मिले हैं।
➤ इस सभ्यता के कृषक अपनी आवश्यकता से अधिक अनाज उत्पन्न करते थे तथा अतिरिक्त उत्पादन को नगरों में भेजते थे।
➤नगरों में अनाज भंडारण के लिए अन्नागार (Grainary) बने होते थे।
➤ अनाजों के अतिरिक्त यहाँ के लोग फलों का भी उत्पादन करते थे। फलों में केला, नारियल, खजूर, अनार, नींबू, तरबूज आदि का उत्पादन होता था।
➤ कृषि के साथ-साथ पशुपालन का भी इस काल में विकास हुआ।
➤यहाँ से प्राप्त मुहरों पर कूबड़दार वृषभ का अंकन बहुतायत में मिलता है।
➤अन्य पालतू पशुओं में बैल, गाय, भैंस, कुत्ते, सुअर, भेड़, बकरी, हिरन, खरगोश आदि प्रमुख थे।
➤ सुरकोटड़ा (कच्छ, गुजरात) से प्राप्त अश्व-अस्थि तथा लोथल और रंगपुर से प्राप्त अश्व की मृण्मूर्तियों के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है कि सैंधव सभ्यता के लोग अश्व से परिचित थे।
➤ वस्त्र निर्माण इस काल का प्रमुख उद्योग था। सूती वस्त्र के अवशेषों से ज्ञात होता है कि यहाँ क निवासी कपास उगाना भी जानते थे।
➤विश्व में सर्वप्रथम सैंधव सभ्यता के लोगों ने ही कपास की खेती प्रारम्भ की थी।
➤इसलिए यूनान के लोग कपास को सिन्डन (Sindon) कहने लगे जो सिंन्धु शब्द से उद्भूत है।
➤ इस सभ्यता की मुहरें एवं अन्य वस्तुएँ पश्चिम एशिया तथा मिस्र से प्राप्त हुई हैं।
➤इससे यह पता चलता है कि इन देशों के साथ इनका व्यापारिक सम्बन्ध था।
➤ यहाँ के निवासी वस्तु विनिमय द्वारा व्यापार किया करते थे।
➤ हड़प्पा सभ्यता में तौल के बाट 16 अथवा इसके गुणज भार के थे, यथा 16, 64, 160, 320 आदि।
हड़प्पा सभ्यता में विभिन्न क्षेत्रों से आयात किये जाने वाले कच्चे माल🔥
➤यहाँ के निवासी धातु निर्माण उद्योग, आभूषण निर्माण उद्योग, बर्तन निर्माण उद्योग, हथियार-औजार निर्माण उद्योग व परिवहन उद्योग से परिचित थे।
➤ उत्खनन से प्राप्त कताई-बुनाई के उपकरणों (तकली, सुई आदि) से निष्कर्ष निकलता है कि कपड़े बुनना एक प्रमुख उद्योग था।
➤ चाक पर मिट्टी के बर्तन बनाना, खिलौना बनाना, मुद्राओं का निर्माण करना आदि इस काल के कुछ प्रमुख उद्योग-धन्धे थे।
➤ लकड़ी की वस्तुओं से पता चलता है कि बढ़ईगिरी भी इस काल में प्रचलित थी।
धार्मिक जीवन 🔥
➤ हड़प्पा सभ्यता के धार्मिक जीवन के बारे में जानकारी के मुख्य आधार पुरातात्विक स्रोत है, यथा-मूर्तियाँ, मुहरें, मृदभांड, पत्थर तथा अन्य पदार्थों से निर्मित लिंग तथा चक्र की आकृति, ताम फलक, कब्रिस्तान आदि।
➤ इस सभ्यता में कहीं से किसी भी मंदिर के अवशेष नहीं मिले हैं।
➤ पशुओं में कुबड़वाल साँड़ इस सभ्यता के लोगों के लिए विशेष पूज्नीय था।
➤ हड़प्पा संस्कृति में मातृ देवी सम्प्रदाय का मुख्य स्थान (स्त्री मृण्मूर्तियों के अधिकता के कारण) था।
➤मातृ देवी की ही भाँति देवता की उपासना में भी बलि का विधान था।
➤ इस सभ्यता के लोग पशुपतिनाथ, महादेव, लिंग, योनि, वृक्षों व पशुओं की पूजा करते थे।
➤भूत-प्रेत, अन्धविश्वास व जादू-टोना पर भी इस काल के लोगों का विश्वास था।
➤ लोथल (गुजरात) एवं कालीबंगा (राजस्थान) के उत्खननों के परिणामस्वरूप अनेक अग्निकुंड तथा अग्निवेदिकाएँ मिली हैं।
➤ बैल को पशुपतिनाथ का वाहन माना जाता था। फाख्ता एक पवित्र पक्षी माना जाता था।
➤ भारतीय सभ्यता- संस्कृति में स्वास्तिक चिह्न सम्भवत: हड़प्पा सभ्यता की देन है।
➤ इस सभ्यता में शवों की अन्त्येष्टि संस्कार की तीन विधियाँ प्रचलित थी- पूर्ण समाधिकरण, आंशिक समाधिकरण और दाह संस्कार।
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