वितरण का सीमांत उत्पादकता का सिद्धांत - सीमांत उत्पादकता के माप - आलोचनाएं : वितरण का सिद्धांत ~ OSG Academy

वितरण का सीमांत उत्पादकता का सिद्धांत - सीमांत उत्पादकता के माप - आलोचनाएं : वितरण का सिद्धांत ~ OSG Academy


वितरण का सिद्धांत

वितरण का सिद्धांत

➤वितरण के सिद्धांत में उत्पादन के साधनों की सेवाओं की कीमतों के निर्धारण की व्याख्या की जाती है। 
साधनों की कीमत -
      • भूमि का किराया 
      • श्रम का मजदूरी 
      • पूंजी का ब्याज 
      • उद्यमी का लाभ 
➤साधनों की कीमतों का निर्धारण का अर्थ उनकी सेवाओं की कीमतों का निर्धारण है।
➤साधनों के सेवाओं का मूल्य को वितरण के सिद्धांत में शामिल किया जाता है।
➤वितरण के सिद्धांत में कार्य अनुसार वितरण की व्याख्या की जाती हैं।

व्यष्टिपरक सिद्धांत -

➤उत्पादन साधनों के सापेक्ष कीमतों का निर्धारण।
  • श्रमिक की मजदूरी दर 
  • भूमि पर लगान की दर
  • पूंजी पर ब्याज की दर 

समष्टिपरक सिद्धांत -

➤राष्ट्रीय आय के विभिन्न साधनों की समस्त भाग।
➤इसे वितरणात्मक भागों का सिद्धांत कहा जाता है।
  • श्रमिकों के समस्त भागों का मजदूरी दर 
  • लगान की समस्त भागों का दर 
  • लाभ के समस्त भागों का दर।
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वितरण के सीमांत उत्पादकता का सिद्धांत

➤दी हुई मान्यताओं के अंतर्गत दीर्घकाल में किसी साधन के पुरस्कार में उसके सीमांत उत्पादकता के बराबर होने की प्रवृत्ति पाई जाती है ।
➤इस का प्रतिपादन 19वीं सदी में J. B. क्लार्क, वालरस, विक्सटिड ने किया। 
➤विस्तृत व्याख्या जॉन रॉबिंसन एवं J. R. हिक्स के द्वारा किया गया ।
➤ऐसा मान्यता जो मजदूरी, लगान, बयाज तथा लाभ जैसी साधन कीमतों की व्याख्या करता है।
➤यह एक सामान्य सिद्धांत है और इसके माध्यम से सभी साधनों के परिश्रमिको की व्याख्या की जा सकती हैं ।
➤अन्य साधनों को स्थिर रखकर परिवर्तनशील साधन की एक अतिरेक के प्रयोग से कुल उत्पादन में जो वृद्धि होती है उसे सीमांत उत्पादकता कहते हैं ।
➤उत्पादन साधनों के कीमत निर्धारण का आधार सीमांत उत्पादकता है।
➤कोई फर्म साधन को क्या परिश्रम चुकाएगी यह साधन की उत्पादकता पर निर्भर करता है।

साधन की उत्पादकता ⬆️ ➡️ कीमत ⬆️
साधन की उत्पादकता ⬇️ ➡️ कीमत ⬇️
➤सीमांत उत्पादकता सिद्धांत किसी भी साधन के पारिश्रमिक को उनके उत्पादकता या कुल उत्पादन में किए गए उनके अंशदान से जोड़ देता है ।
➤साधन की सीमांत इकाई का पारिश्रमिक को सीमांत उत्पादकता के बराबर होती हैं ।
➤उत्पादन के किसी भी साधन की कीमत उसकी सीमा तो उत्पादकता पर निर्भर करती है। 
➤एक साधन के सीमांत उत्पादन का मूल्य उत्साह धन की सीमांत भौतिक उत्पादन तथा पदार्थ की कीमत का गुनाह होता है। 
➤एक साधन की मांग व्युत्पन्न मांग कहीं जाते हैं।

वितरण की सीमांत उत्पादकता सिद्धांत के मान्यताएं

  1. वस्तु तथा साधन दोनों बाजारों में पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति हो ।
  2. साधन की सभी इकाइयां समरूप हो ।
  3. प्रत्येक उत्पादक अधिकतम लाभ प्राप्ति का प्रयास करें ।
  4. एक साधन परिवर्तनशील तथा अन्य साधन स्थिर हो ।
  5. सीमांत उत्पादकता सिद्धांत केवल दीर्घकाल में लागू हो ।
  6. साधन की सीमांत उत्पादकता घटती जाती है ।
  7. पूर्ण रोजगार की मान्यता।

सीमांत उत्पादकता की माप

(1) सीमान्त भौतिक उत्पादकता (Marginal Physical Productivity) : 

➤प्रो. एम. जे. उल्मर (M. J. Ulmer) के शब्दों में, "अन्य सब बातों के समान रहने पर किसी एक साधन की अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने से कुल उत्पादन में जो व द्धि होगी उसे सीमान्त भौतिक उत्पादकता कहा जाएगा।"
MPP =TPPn —TPPn-1

(2) सीमान्त आय या आगम उत्पादकता (Marginal Revenue Productivity) :

➤प्रो. उल्मर के शब्दों में, “अन्य सब बातें समान रहने पर किसी एक साधन की अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने से कुल आय में जो वद्धि होगी उसे सीमान्त आय उत्पादकता कहा जाएगा।" 
MRP =TRn —TRn-1
MR = ∆TR/∆Q
MRP =MPP×MR

3. सीमान्त उत्पादकता का मूल्य (Value of Marginal Productivity) :

➤एक साधन की सीमान्त भौतिक उत्पादकता (MPP) को उस साधन द्वारा उत्पादित वस्तु की कीमत (AR) से गुणा करने से जो आय बढ़ती है, उसे सीमान्त उत्पादकता का मूल्य (VMP) कहा जाता है। 
➤प्रो. फर्गुसन के अनुसार, "एक परिवर्तनशील उत्पादन के साधन की सीमान्त भौतिक उत्पादकता को सम्बन्धित वस्तु की बाजार कीमत से गुणा करने पर सीमान्त उत्पादकता के मूल्य का ज्ञान होता है।"
VMP=(MPP) x (AR)

सीमांत उत्पादकता सिद्धांत की आलोचनाएं :

  1. समरूप वस्तु की मान्यता 
  2. पूर्ण प्रतियोगिता की मान्यता 
  3. साधनों के अनुपात को बदलने की मान्यता 
  4. साधन पूर्ण विभाज्य की मान्यता 
  5. एक साधन की सीमांत उत्पादकता को मापना कठिन 
  6. अवास्तविक सिद्धांत 
  7. स्थिर अनुपात प्रतिफल पर आधारित 
  8. साधन की पूर्ति को स्थिर मानना
  9. एकपक्षीय सिद्धांत ➡️ मांग पर बल देना 
  10. लाभ के व्याख्या करने में असमर्थ।

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J. B. क्लार्क का सीमांत उत्पादकता का सिद्धांत

➤इसका प्रतिपादन Distribution of Welth में किया गया है।
➤यह पूर्णतः गतिहीन समाज पर आधारित है।
मान्यताएं -
  1. जनसंख्या स्थिर हो।
  2. पूंजी की मात्रा स्थिर।
  3. उत्पादन की तकनीक स्थिर।
  4. पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति।
  5. श्रम परिवर्तनशील हो।
➤श्रमिक की सीमांत उत्पादकता घटती जाती है।
श्रमिको की संख्या = प्रचलित मजदूरी दर
मजदूरी दर ⬆️ ➡️ श्रमिक ⬇️
  • अधिकतम लाभ - D
  • श्रमिको की संख्या - OL
  • मजदूरी दर - OW

मार्शल और हिक्स की सीमांत उत्पादकता का सिद्धांत

➤मजदूरी मांग एवं पूर्ति दोनो के द्वारा निर्धारित होती है।
सीमांत उत्पादकता ➡️ साधनों की कीमत = (मांग = पूर्ति)
साधनों की मांग का निर्धारण -
P ⬆️ ➡️ L⬇️
P⬇️ ➡️ L⬆️
➤DD ➡️ सीमांत उत्पादन वक्र का योगफल
➤SS ➡️ साधनों की पूर्ति

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