एकाधिकार बाजार (Monopoly Compititive Market) : अर्थ व परिभाषा, विशेषताएं, कीमत निर्धारण, फर्म संतुलन, अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन संतुलन, कीमत विभेद
एकाधिकार की परिभाषा
➡️एकाधिकार शब्द का उद्भव ग्रीक शब्द MONOS तथा POLUS से हुआ है जिसका अर्थ अकेला (विक्रेता) होता है।
➡️ बाजार की व्यवस्था जिसमें वस्तु का केवल एक ही विक्रेता होता है तथा उसे वस्तु की उत्पादन तथा पूर्ति पर पूर्ण नियंत्रण होता है।
➡️ वस्तु की कोई स्थानापन्न प्रवृत्ति नहीं होती है।
➡️ इसमें फर्म और उद्योग दोनों एक ही विक्रेता होता है।
चैंबरलिन - एकाधिकार की स्थिति वस्तु पर पूर्ण नियंत्रण रखती हैं।
प्रो. बिल्डिंग - शुद्ध एकाधिकारी फर्म वह है जो कोई ऐसी वस्तु उत्पादित कर रही है जिसका किसी अन्य फार्म की उत्पादित वस्तुओं में कोई प्रभावी स्थानापन्न न हो।
P.A. लर्नर - एकाधिकारी का तात्पर्य को से विक्रेता से है जिसकी वस्तु की मांग वक्र गिरता हुआ होता है।
एकाधिकार की विशेषताएं
1. एकाधिकार प्रतियोगिता बाजार में केवल एक ही उत्पादक एवं विक्रेता होता है।
2. वस्तु की कीमत पर पूर्ण एकाधिकार विक्रेता का होता है। कीमत का निर्धारण का अधिकार एकाधिकार के पास होता है।
3. नई फर्मों के प्रवेश पर प्रतिबंध होता है।
4. एकाधिकार में उद्योग एवं फार्म दोनों एक ही होते हैं।
5. दीर्घकाल में एकाधिकारी को असामान्य लाभ प्राप्त होता है।
6. एक अधिकारी की स्थिति में कीमत विभेदीकरण संभव होता है। जिसका मुख्य उद्देश्य लाभ अधिकतम कमाना होता है।
7. एक अधिकारी वस्तु का मूल्य निर्धारण होता है, क्योंकि वस्तु की पूर्ति पर पूर्ण नियंत्रण होता है।
8. एकाधिकार में AR और MR x अक्ष के समानांतर नही होते है, ऊपर से नीचे की ओर गिरते है। विभिन्न स्थानों पर वस्तु की कीमत भिन्न भिन्न होता है।
एकाधिकार में कीमत निर्धारण
➡️जब MR और MC बराबर होते है तो उस स्थिति में कीमत का निर्धारण किया जाता है।
एकाधिकार फर्म संतुलन
1.कुल आगम तथा कुल लागत रीति :
शर्त -
- कुल लागत वक्र कुल आगम वक्र के बराबर हो। (TC=TR)
- कुल लागत वक्र कुल आगम वक्र को नीचे से काटता हो।
2. सीमांत लागत तथा सीमांत आगम रीति :
शर्त -
- सीमांत लागत वक्र सीमांत आगम वक्र के बराबर हो। (MC=MR)
- सीमांत लागत वक्र सीमांत आगम वक्र को नीचे से काटता हो।
अल्पकालीन संतुलन
1.असामान्य लाभ :
➡️जब AR > AC
AC < AR हो।
➡️जब औसत आगम औसत लागत से अधिक होता है तो फर्म को असामान्य लाभ प्राप्त होता है।
2.सामान्य लाभ :
➡️ जब AR = AC हो, जब औसत आगम औसत लागत के बराबर होता है तो फर्म को सामान्य लाभ प्राप्त होता है।
3. हानि :
➡️जब, AC > AR, जब अवसर लागत औसत आगम से अधिक होता है तो फर्म को हानि होती है।
दीर्घकालीन संतुलन
सामान्य लाभ :
- जब, AC = AR हो, दीर्घकाल में फर्म को सामान्य लाभ प्राप्त होता है जब औसत लागत और औसत आगम बराबर हो जाते हैं।
कीमत विभेद
➡️ कीमत विभेद से तात्पर्य एक ही वस्तु को एक ही समय में विभिन्न क्रेताओ के पास भिन्न-भिन्न कीमतों पर बेचना है।
श्रीमती जॉन रॉबिंसन - एक ही नियंत्रण के अंतर्गत उत्पन्न एक ही वस्तु को विभिन्न नेताओं के पास विभिन्न कीमतों पर बेचने की क्रिया को कीमत विभेद कहा जाता है।
रॉबर्ट थॉमस - एकाधिकारी क्षेत्र की एक प्रकृति यह है कि एक ही वस्तु या सेवा की पूर्ति के भिन्न-भिन्न भागो का उपभोक्ता से भिन्न भिन्न मूल्य लिया जाता है।
स्टिग्लर - समान वस्तु के दो या दो से अधिक मूल्य वसूल करने को कीमत विभेद कहा जाता है।
कीमत विभेद के प्रकार :
1. व्यक्तिगत कीमत विभेद :
➡️ जब एकाधिकारी अपने ही समरूप वस्तु को विभिन्न व्यक्तियों से भिन्न भिन्न कीमत वसूल करता है तो उसे व्यक्तिगत कीमत विभेद कहते हैं।
➡️जैसे डॉक्टर, वकील।
2. भौगोलिक कीमत विभेद :
➡️ जब विक्रेता विभिन्न क्षेत्रों, स्थानों एवं नगरों के व्यक्तियों से भिन्न कीमत वसूल करता है तो उसे भौगोलिक कीमत विभेद कहते हैं।
3. प्रयोग के आधार पर कीमत विभेद :
➡️ एक वस्तु को अनेक कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है और इसे उसी के आधार पर कीमत का निर्धारण किया जाता है।
➡️ जहां वस्तु के अधिक उपयोग की जाती है वहां अधिक कीमत रखी जाती हैं।
➡️जैसे घरों तथा उद्योगों के लिए विद्युत का दर।
4. छूट कीमत विभेद :
➡️ जब एकाअधिकारी अपने ग्राहकों से वस्तु के मूल्य में छूट देकर अलग-अलग कीमत वसूल करता है तो उसे छूट कीमत विभेद कहते हैं।
कीमत विभेद के शर्ते या दशाएं :
1. एकाधिकारी स्थिति।
2. मांग की लोच में भिन्नता।
3. पृथक बाजार।
4. क्रय शक्ति अलग अलग होना।
5. परिवहन लागतो में भिन्नता।
6. वस्तु के भिन्न-भिन्न उपयोग।
7. उपभोक्ता की अज्ञानता।
8. वस्तुओं के हस्तांतरण का अभाव।