Expansion Path Vistar Path Notes in Hindi

विस्तार पथ (Expansion Path) Notes in Hindi ~ Micro Economics Notes



विस्तार पथ

➤एक उद्यमी अथवा फर्म वस्तु के उत्पादन के विस्तार करने पर साधन संयोग को किस प्रकार बदलता है।

➤विस्तार पथ से हमे यह पता चलता है की उत्पादन बढ़ने पर साधनों का संयोग बदल जाएगा।

➤विस्तार पथ के किसी संयोग से उत्पादन करने का अर्थ वस्तु की दी हुई मात्रा को न्यूनतम लागत पर उत्पादित करना है यदि साधनों की कीमतें स्थिर रहे।

➤दो साधन श्रम तथा पूंजी के कीमतें दी होने पर उनका अनुपात सम लागत रेखा AB की ढाल के बराबर है।

➤विभिन्न सम लागत रेखा AB,CD,UF,GH है।

➤उत्पादक 100 इकाई उत्पादन करने के लिए समोत्पाद वक्र Q1 के बिंदु E1 पर संतुलन में होगा जहां समोत्पाद वक्र का ढाल सम लागत रेखा के ढाल के बराबर है।

➤उत्पादक 200 इसकी उत्पादन करने के लिए समोत्पाद वक्र Q2 के बिंदु E2 पर संतुलन में होगा जहां समोत्पाद वक्र का ढाल सम लागत रेखा के ढाल के बराबर है।

➤उत्पादक 300 इकाई के लिए E3 तथा 400 इकाई के लिए E4 पर संतुलन में होगा।

️विभिन्न संतुलन बिंदुओं को मिलाने से विस्तार पथ प्राप्त होता है जहां साधनों की कीमतें स्थिर रहने पर उत्पादक उत्पादन का विस्तार इसके अनुसार करता है अर्थात जब उत्पादक उत्पादन को बढ़ाता है तो वह विस्तार पथ पर चलता है।

➤इसे पैमाना रेखा इसलिए कहा जाता है क्योंकि उत्पादक इस रेखा के अनुसार ही अपने उत्पादन का पैमाना बढ़ाता है।

➤विस्तार पथ की आकृति व ढाल साधनों की सापेक्ष कीमतों तथा समोत्पाद वक्रों की आकृति पर निर्भर करता हैं।


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