Production Possibility Curve - Schedule, Features, Assumptions, Usage and Determination Elements

उत्पादन संभावना वक्र : अनुसूची, विशेषताएं, मान्यताएं, उपयोग तथा निर्धारण तत्व (Production Possibility Curve - Schedule, Features, Assumptions, Usage and Determination Elements)


Table of Contents 👇🏻👇

  • उत्पादन संभावना अनुसूची
  • उत्पादन संभावना वक्र (PPC)
  • उत्पादन अकुशलता, बेरोजगारी तथा PPC
  • उत्पादन संभावना वक्र की मान्यताएं
  • उत्पादन संभावना वक्र की विशेषताएं
  • उत्पादन संभावना वक्र में परिवर्तन
  • बढ़ती अवसर लागत तथा PPC
  • उत्पादन संभावना वक्र के निर्धारक तत्व
  • उत्पादन संभावना वक्र के उपयोग

उत्पादन संभावना वक्र (Production Possibility Curve)

उत्पादन संभावना अनुसूची :

➤उत्पादन संभावना अनुसूची उन वैकल्पिक उत्पादन संभावनाओं को बताता है जिनको अर्थव्यवस्था प्राप्त कर सकती हैं।

➤इसमें उत्पादन के दो साधन दिए होते है जिनके प्रयोग से अर्थव्यवस्था में उत्पादन किया जाता है।

उत्पादन संभावना वक्र :

➤उत्पादन संभावना वक्र दो वस्तुओं के विभिन्न संयोगो ( combinations ) को प्रकट करता है जिनका उत्पादन दिए हुए संसाधनों द्वारा किया जाता।

➤उत्पादन संभावना अनुसूची को रेखाचित्र के द्वारा प्रदर्शित करना उत्पादन संभावना वक्र कहलाता है।

➤उत्पादन संभावना वक्र वस्तुओ के विभिन्न जोड़ो को दर्शाता है जिन्हे अर्थव्यवस्था साधनों की निश्चित मात्रा द्वारा उत्पादित कर सकती है।

➤उत्पादन संभावना वक्र को रूपांतरण वक्र भी कहते है।

➤यदि सभी उपलब्ध उत्पादन के साधन पूरी तरह से उपयोग हो रहे हैं तो उत्पादन संभावना वक्र के किसी भी बिंदु पर उत्पादन किया जा सकता है, किंतु इसके भीतर और बाहर नहीं।

उत्पादन अकुशलता, बेरोजगारी तथा उत्पादन संभावना वक्र :

➤जब अर्थव्यवस्था में या तो बेरोजगारी होती है अथवा अल्प बेरोजगारी तब दो वस्तुओं का उत्पादन, उत्पादन संभावना वक्र के भीतर किसी बिंदु पर होगा।

H » अप्राप्य संयोग।

U » साधनों का अकुशल प्रयोग।

उत्पादन संभावना वक्र की मान्यताएं ( Assumptions of PPC ):

( i ) संसाधनों की एक निश्चित मात्रा दी गई है । 

( ii ) उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण एंव कुशल प्रयोग किया गया है । 

( iii ) तकनीक में कोई परिवर्तन नहीं होता है । 

(iv) दो वस्तुएं दी गई हो।

उत्पादन संभावना वक्र की विशेषताएँ ( Properties of PPC ) - 

( i ) उत्पादन संभावना वक्र का ढलान नीचे की ओर होता है ( PPC slops downward ) - 

उत्पादन संभावना वक्र का ढलान दाएं से बाएँ ऊपर से नीचे की ओर होता है | ऐसा इसलिए होता है क्योंकि संसाधन स्थिर है तथा दो वस्तुओं के उत्पादन को एक साथ नहीं बढ़ाया जा सकता है । एक वस्तु का उत्पादन बढ़ने के लिए दूसरी वस्तु के उत्पादन को कम करना पड़ेगा । 

( ii ) उत्पादन संभावना वक्र का ढलान मूल बिंदु की ओर नतोदर होता है ( PPC is concave to the point of origin ) - 

जैसे - जैसे वस्तु x के उत्पादन में वृद्धि की जाती है वस्तु Y का उत्पादन कम होता जाता है जिससे सीमांत अवसर लागत बढती जाती है | अतः सीमांत अवसर लागत के बढ़ने के कारण उत्पादन संभावना वक्र का ढलान मूल बिंदु की ओर नतोदर होता है।

(iii). PPC सदैव धनात्मक होता है।

PPC = (Change in Y) / (Change in X)

➤संसाधनों और तकनीक में वृद्धि से आर्थिक संवृद्धि होती हैं।

➤संसाधनों और तकनीक में कमी से आर्थिक संकुचन होता है।

उत्पादन संभावना वक्र में परिवर्तन :

➤उत्पादन के साधनों जैसे भूमि श्रम और पूंजी में वृद्धि से उत्पादन संभावना वक्र दाईं ओर उठ जाता है तथा इसका विलोम।

उत्पादन संभावना वक्र और बढ़ती अवसर लागत (विकल्प त्याग) का नियम :

➤अवसर लागत एक अवसर का लाभ उठाने के लिए दुसरे अवसर की हानि की लागत है।

➤त्यागी गई वस्तु की लागत अवसर लागत कहलाती है।

आर्थिक विकास के निर्धारक तत्व :

➤पूंजी निर्माण।

➤टेक्नोलॉजी में प्रगति।

➤शिक्षा में प्रसार।

उत्पादन संभावना वक्र के उपयोग :

कल्याणवादी अर्थशास्त्र

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धांत

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से होने वाले लाभ।



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