महायान संप्रदाय - बौद्ध धर्म - mahauan sampraday - bauddh dharm Notes in Hindi

महायान संप्रदाय - बौद्ध धर्म - mahauan sampraday - bauddh dharm Notes in Hindi



महायान संप्रदाय - बौद्ध धर्म

महायान :

➤महायान परम्परा पहली शताब्दी ई ० पू ० और दूसरी शताब्दी ई 0 के बीच विकसित हुई ।

➤ महायान दर्शन बुद्ध के मौलिक दर्शन पर आधारित है परन्तु परम्परागत व्याख्याओं में उसकी आस्था नहीं है । 

➤इसमें नए सिद्धांतऔर प्रथाओं को जोड़ने का प्रयत्न किया गया ताकि बौद्ध धर्म के आम अनुयायी भी इसे आसानी सेसमझ सकें । 

➤उन्होंने निर्वाण के बाद बुद्ध को भगवान बना दिया ताकि बुद्ध के अस्तित्व से सम्बन्धित सभी प्रश्नों और संदेहों का निराकरण किया जा सके । 

➤महायान दर्शन के अनुसार कोई भी पवित्र प्राणी बुद्ध बन सकता है । 

➤लेकिन यदि अपने कार्य और मानसिक स्थिति को विकसित नहीं कर सकता है तो उसे ज्ञानोदयकी प्राप्ति नहीं होगी । 

➤इसमें बोधिसत्व के आदर्श को प्रोत्साहत किया गया है । 

➤जो लोग दुनिया की सेवा करने के लिए जन्म और मृत्यु के इसकष्टप्रद चक्र में अपनी इच्छा से बने रहना चाहते हैं उनके लिए निर्वाण प्राप्तकरना जरूरी नहीं है ।

➤ इस परम्परा के अनुयायियों का यह मानना है कि कुछ शाश्वत सत्ता है जिसकी पूजा की जा सकती है । 

➤इस प्रकार यह धर्म बहुदेववादी हो गया ।

➤ इसे महायान के रूप में जाना गया क्योंकि इसमें बोधिसत्व के आदर्श से युक्त मुक्ति का दृष्टिकोण और सभी प्राणियों को मुक्त करने की आकांक्षा शामिल है । 

➤करूणा और सुबुद्धि को ज्ञानोदय का मार्ग माना गया । 

➤बुद्धत्व की प्राप्ति के लिए बोधिसत्व की प्रार्थना और उपासना को मूल मंत्र माना गया ।

➤महायान शाखा के विकास के कारण बौद्ध धर्म संपूर्ण भारत और सीमा पार विदेशों में लोकप्रिय धर्म के रूप में विकसित हुआ । 

➤विभिन्न मूलों और संस्कृतियों से जुड़े हुए लोगों की धार्मिक भावुकता ने क्रमशः बुद्ध को भगवान के रूप में परिवर्तित कर दिया । 

➤ईस्वी सन् की आरम्भिक शताब्दियों में बुद्ध की मूर्ति की स्थापना और पूजा का प्रचलन शुरू हुआ । 

➤इस प्रकार महायान बौद्ध धर्म के आगमन का मार्ग प्रशस्त हुआ । 

➤महायान बौद्ध धर्म का उद्भव प्रथम शताब्दी ई.प. में आंध्र प्रदेश में हुआ था । 

➤कनिष्क के समय में इसे मान्यता मिली और इसके बाद प्रथम और द्वितीय शताब्दी ई . के दौरान यह परे दक्षिण भारत में फैल गया ।

➤ कट्टरपंथी बौद्ध धर्म के कारण आरंभ में महायान ज्यादा आगे नहीं बढ़ सका । 

➤नागार्जुन के आने के बाद इस शाखा ने लोकप्रियता प्राप्त करनी शुरू की । 

➤नागार्जुन महायान शाखा के प्रमुख प्रवर्तक थे । 

➤ महायान बौद्ध धर्म का उद्भव ई.प. प्रथम शताब्दी में ही हो चुका था पर बौद्ध संघ का हीनयान और महायान में अंतिम रूप से विभाजन कनिष्क प्रथम के शासन काल में हुआ । 

➤यह विभाजन इस दौरान कश्मीर में हुए चौथे बौद्ध सम्मेलन में उभरकर सामने आया ।

➤ हीनयान और महायान का शाब्दिक अर्थ है ' छोटी सवारी ' और ' बड़ी सवारी ' इस प्रकार की शब्दावली हीनयान पर महायान की श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए गढ़ी गयी थी ।

➤ यह मत पहले पहल बौद्ध मतावलम्बी महासधिका द्वारा प्रतिपादित किया गया था ।

महायान के अन्य सिद्धांत इस प्रकार है :

  • सभी मनुष्य बौद्धत्व की प्राप्ति की आकांक्षा रख सकते हैं
  • प्रतिभापूर्ण कार्यों से बोधिसत्व की प्राप्ति हो कती है
  • शून्यता या शून्य या वस्तुओं की अथार्थता में विश्वास
  • मंत्रों में विश्वास
  • असंख्य बद्धों और बोधिसत्वों में विश्वास
  • देवी देवताओं की पूजा का चलन

➤हीनयान के मतावलम्बियों के अनुसार इनमें उनके विश्वास और चलन बुद्ध द्वारा प्रतिपादित नहीं किए गये । 

➤उनका यह भी सोचना था कि बौद्धत्व के आदर्श की प्राप्ति का द्वार सभी लोगों के लिए खोलना व्यावहारिक नहीं।


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