Keynesian Theory of Liquidity and Rate of Interest - Interest Rate Equilibrium

कींस का ब्याज दर एवं तरलता अधिमान का सिद्धांत : ब्याज का सिद्धांत तथा ब्याज दर का संतुलन ( Keynesian Theory of Liquidity and Rate of Interest - Interest Rate Equilibrium ).


Table of Contents 👇🏻👇

  • ब्याज की परिभाषा
  • ब्याज का सिद्धांत
  • ब्याज की सिद्धांत की आलोचनाएं
  • मुद्रा एवं ब्याज दर का सिद्धांत
  • तरलता अधिमान
  • ब्याज दर का निर्धारण / संतुलन


किन्स का ब्याज एवं तरलता अधिमान सिद्धांत

ब्याज की परिभाषा -

➤राष्ट्रीय आय का वह भाग जो पूंजी की सेवाओं के बदले में पूंजीपति को दिया जाता है।

  • श्रम ➡️ मजदूरी
  • भूमि ➡️ लगान
  • पूंजी ➡️ ब्याज
  • उद्यमी ➡️ लाभ

विक्सेल - ब्याज पूंजी के उपयोग के लिए ऋणियों द्वारा पूंजी पतियों को उनके त्याग के बदले में दिया जाने वाला भुगतान है।

मेयर्स - ब्याज उस कीमत को कहते हैं जो उधार देने योग्य कोषों का प्रयोग के बदले दिया जाता है।

कींस - ब्याज एक निश्चित अवधि के लिए तरलता का परित्याग का पुरस्कार है।

सेलिगमैन - ब्याज पूंजी कोष के बदले में मिलने वाला परितोषण है।

ब्याज के सिद्धांत -

1. बयाज का प्रतिष्ठित सिद्धांत ➡️ रिकार्डो, मार्शल, पीगु

2. ऋण देय कोष सिद्धांत ➡️ K. विक्लेस

3. कींस का तरलता अधिमान सिद्धांत

4. ब्याज का आधुनिक सिद्धांत ➡️ प्रो. हिक्स, प्रो. लर्नर

ब्याज सिद्धांत की आलोचनाएं -

1. यह सिद्धांत पूंजी की उत्पादकता पर ध्यान नहीं देता।

2. एक पक्षीय सिद्धांत ➡️ (मुद्रा की मांग पर जोर)

3. दीर्घकाल में बाय दर का निर्धारण पर ध्यान ना देना।

4. संकुचित सिद्धांत ➡️ (सिर्फ तीन उद्देश्य को महत्व देना)

5. विकसित देशों हेतु उपयुक्त

6. अनिश्चित सिद्धांत ➡️ (सट्टा उद्देश्य को विशेष महत्व देना)

मुद्रा एवं ब्याज दर का सिद्धांत -

➤कींस का ब्याज दर का सिद्धांत तरलता अधिमान पर आधारित है ।

➤ब्याज नकदी की कीमत या तरलता के परित्याग का पुरस्कार है ।

➤ब्याज दर का निर्धारण मुद्रा की मांग तथा पूर्ति पर निर्भर करता है ।

मुद्रा की मांग - व्यक्ति का मुद्रा को नकद या तरल रूप में रखना ।

मुद्रा की पूर्ति - किसी समय में उपलब्ध मुद्रा के कुल मात्रा।

कींस - ब्याज वह कीमत है जो धन को नकदी के रूप में रखने की इच्छा तथा उपलब्ध नकदी की मात्रा में बराबर है स्थापित करती हैं।

तरलता अधिमान :




ब्याज दर के संतुलन स्तर का निर्धारण :

Md = L (Y,r)

जहां,

  • Md = मुद्रा की मांग
  • Y = आय
  • r = ब्याज की दर
  • M = मुद्रा की आपूर्ति ➡️ केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित

Md = Ms

Ms = Md

Ms = L (Y,r)



मुद्रा के मांग में वृद्धि तथा ब्याज दर -

Md ⬆️ ➡️ ब्याज दर ⬆️




मुद्रा के पूर्ति में वृद्धि तथा ब्याज दर -

Ms ⬆️➡️ ब्याज दर ⬇️




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