Keynesian Theory of Demand for Money कींस का मुद्रा की मांग का सिद्धांत

Keynesian Theory of Demand for Money कींस का मुद्रा की मांग का सिद्धांत ।


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कींस का मुद्रा की मांग का सिद्धांत

मुद्रा की मांग (Demand for Money) : 🔥

➤किंस के अनुसार , मुद्रा की मांग तरलता क वरीयता , लोगों की नकद रखने की इच्छा तथा नकद मुद्रा के अन्य रूपों जैसे गैर - ब्याज अर्जक जमाएँ हैं ।

➤बांड या अन्य परिसंपदाएं व्यक्ति को आय प्रदान करते हैं और मुद्रा से ऐसी प्राप्ति नहीं होती , फिर भी वह व्यक्ति मुद्रा को वरीयता क्यों प्रदान करता है ? 

➤केन्जवादी विचार के अनुसार , तीन कारण हैं जो मुद्रा की मांग अथवा तरलता हेतु वरीयता उत्पन्न करते हैं -

    1. विनिमय मांग
    2. मुद्रा की पूर्वोपायी मांग
    3. मुद्रा की सट्टा - मांग

1. विनिमय मांग :🔥

➤कोई भी महिने के अंत में मुद्रा प्राप्त करता है , लेकिन व्यय के प्रवाह पूरे माह होते हैं । 

➤प्राप्तियों तथा व्यय के मध्य इस प्रकार के समन्वय का अभाव मुद्रा की विनिमय मांग को उत्पन्न करता है । 

➤मुद्रा की विनिमय मांग प्रत्यक्ष रूप से आय के साथ - साथ परिवर्तित होती है ।

➤ एक कम आय वाला व्यक्ति कम व्यय करेगा तथा इस प्रकार उसकी विनिमय मांग कम मांग होगी ।

आय ⬇️ 👉 व्यय⬇️ 👉 विनिमय मांग ⬇️

➤उच्च आय वाले व्यक्ति की विनिमय मांग उच्च होती है क्योंकि वह विनिमय पर अधिक व्यय करता है । 

आय⬆️ 👉 व्यय⬆️ 👉 विनिमय मांग⬆️

➤मुद्रा मांग नकद शेषों के रखने तथा परिसंपत्तियाँ जो ब्याज अर्जित करती हैं को रखने के मध्य संबंध पर निर्भर करती है ।

➤यदि ब्याज दरें उच्च हैं , तो मुद्रा रखने की अवसर लागत अधिक होगी । इसलिए मुद्रा की विनिमय मांग कम होगी ।

बयाज दर ⬆️ 👉 मुद्रा रखने की अवसर लागत⬆️ 👉 विनिमय मांग⬇️

बयाज दर ⬇️️ 👉मुद्रा रखने की अवसर लागत⬇️️ 👉विनिमय मांग⬆️️

➤ इस प्रकार , मुद्रा की विनिमय मांग ब्याज की दर में वृद्धि के साथ गिरती है । 

➤चूँकि मुद्रा को विनिमय उद्देश्य के लिए करेंसी अथवा चैक योग्य जमाओं के रूप में रखा जाता है , विनिमय मांग मुद्रा आपूर्ति के M माप के अनुरूप होती है । 

➤यह मुद्रा के कार्य विनिमय के माध्यम के अनुरूप भी होती है ।

2. पूर्वोपाय मांग /दूरदर्शिता उद्देश्य :🔥

➤लोग अनिश्चित्ताओं से बचाव हेतु भी मुद्रा नकद रूप में अपने पास रखते हैं । 

➤भविष्य की प्राप्तियाँ तथा भुगतान अनिश्चित है ।

➤भविष्य में हो सकने वाले अप्रत्याशित खर्चों को पूरा करने के लिए मुद्रा को एक संभरण ( बफर स्टॉक ) के कार्य हेतु रखा जाता है । 

➤उदाहरण के लिए , परिवार चिकित्सा आपात , जो बिना चेतावनी के उत्पन्न हो सकते हैं को पूरा करने के लिए नकद रख सकते हैं । 

➤मुद्रा की पूर्वोपाय मांग M से संबंधित है।

➤यह बचत खातों के अस्तित्व की व्याख्या भी कर सकती है जो M , का भाग है ।

3. सट्टा मांग :🔥

➤मुद्रा की सट्टा मांग ( speculative demand ) मूल्य के संचय के रूप में मुद्रा के कार्य से संबंधित होती है ।

➤मुद्रा का वास्तविक मूल्य मुद्रा स्फीति पर निर्भर करता है जो कि अनिश्चित है ।

➤इक्विटीज या शेयर पूँजी का मूल्य मुद्रास्फीति से ज्यादा अनिश्चित है जो यह संकेत करता है कि मुद्रा तुलनात्मक रूप से सुरक्षित परिसंपत्ति है ।

➤ मुद्रा की यह विशेषता मुद्रा के लिए सट्टा मांग को उत्पन्न करती है । 

➤परिसंपत्तियों पर प्रतिफल की उच्च जोखिम , मुद्रा की सट्टा मांग को ऊँचा करती है ।

➤अन्य परिसंपत्तियों पर उच्च प्रत्याशित प्रतिफल , मुद्रा की सट्टा मांग को कम करती है । 

बयाज दर ⬇️ 👉 सट्टा मांग ⬆️

बयाज दर ⬆️️ 👉 सट्टा मांग ⬇️️

➤निवेशक समय तथा बचत जमाओं को पसंद करते हैं क्योंकि उनसे उच्च प्रतिफल भी मिलते हैं । 

➤ये M2 , तथा M3 , का भाग हैं । 

➤मुद्रा की सट्टा मांग मुद्रा की आपूर्ति के M2 , एवं M3 मापों के अनुरूप होती हैं । 



➤r :- यदि ब्याज की दर बहुत कम है ( " r ") है , तब मुद्रा की जिस भी मात्रा की आपूर्ति की जाती है लोग उसे रखने के तत्पर होते हैं । 



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