कनिष्क उपलब्धियां तथा साम्राज्य - kanishk uplabdhiya tatha samrajya Notes in Hindi

कनिष्क उपलब्धियां तथा साम्राज्य - kanishk uplabdhiya tatha samrajya Notes in Hindi


कनिष्क

कनिष्क  : 

➤ विम कैडफिसेस के पश्चात कुषाण साम्राज्य की गद्दी पर सम्राट कनिष्क बैठा । 

➤सम्राट कनिष्क कुषाण वंश का सबसे प्रतापी शासक था । 

➤वह महान विजेता एवं बौद्ध धर्म को संरक्षण देने वाला था ।

➤ इस दृष्टि से उसके व्यक्तित्व में मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य की सैनिक योग्यता एवं सम्राट अशोक के बौद्ध धर्म के प्रति समर्पण का मिश्रण दृष्टिगोचर होता है । 

➤सम्राट कनिष्क के काल के अनेक अभिलेखों उसके द्वारा निर्गत ताम्र व स्वर्ण सिक्कों व बौद्ध साहित्य आदि के आधार पर हम उसके काल के इतिहास को जानते हैं । 

➤कनिष्क कालीन अल्प ज्ञात स्रोतों के आधार पर सम्राट कनिष्क के आरम्भिक जीवन के सम्बन्ध में विद्धानों में मतैक्य का आभाव दिखाई देता है । 

➤कनिष्क के पूर्व के कुषाण शासकों कुजुल कँडफिसियस व विम कैडफिसेस से उसका वास्तविक रूप में क्या सम्बन्ध था , अभी यह भी पूर्णतः स्पष्ट नहीं है । 

➤ स्टेनकाइनों आदि का मत है कि कनिष्क प्रथम यू- ची जाति की छोटी शाखा से सम्बंध रखता था और उसका आगमन खोतान से हुआ था । 

➤परन्तु यह भी असत्य प्रतीत होता है क्योंकि चीनी स्रोतों में कनिष्क प्रथम के वंशज वासुदेव को ता - यू- ची ( बड़ी यू - ची ) का राजा उल्लेखित किया गया है । 

➤कनिष्क के सिंहासनारूढ़ होने की तिथि के सम्बन्ध में भी विद्वानों के अनेक मत है । 

➤विस्तृत कुषाण साम्राज्य क्षेत्र में अनेक स्थानों यथा - काशी , गोरखपुर जिले में स्थित गोपालपुर स्तूप व काबुल के समीप बेग्राम नामक स्थानों पर सम्राट विम कैडफिसेस व सम्राट कनिष्क के सिक्के साथ - साथ प्राप्त हुए हैं । 

➤दोनों के ही सिक्कों की बनावट मूल रूप से समान प्रदर्शित होती है ।

➤ वे आकार में चतुष्कोणिक है ' व उनकी तौल व बनावट एक समान है । 

➤इन सिक्कों की एक समान एक रूपता एंव तक्षशिला स्थित पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर विम कैडफिसेस व कनिष्क के कालों में अत्यंत समीपता प्रदर्शित होती है । 

➤वस्तुतः कनिष्क सम्राट विम कैडफिसेस का उत्तराधिकारी था । 

➤कुषाण सम्राट कनिष्क के राज्यारोहण का वर्ष वस्तुतः 78 ई. ही था । 

➤यद्यपि फ्लीट आदि विद्वानों का मानना था कि सम्राट कनिष्क का राज्यारोहण दोनों कैडफिसेस सम्राटों से पूर्व हुआ था ।

➤ फ्लीट के अनुसार कनिष्क का राज्यारोहण 58 ई 0 पूर्व हुआ था ।

➤ कनिष्क ने इस अवसर पर एक सम्वत् भी प्रारम्भ किया था जो कि कालान्तर में विक्रमी संवत् के नाम से प्रसिद्ध हुआ परन्तु तक्षशिक्षा से प्राप्त पुरातात्विक साक्ष्यों में कैडफिसेस शासकों के सिक्के खुदाई में निचली सतहों पर मिले है जबकि कनिष्क के सिक्के इससे ऊपरी सतह पर प्राप्त होते हैं ।

➤ इससे प्रमाणित होता है कि कैडफिसेस शासक कनिष्क के पूर्ववर्ती थे । 

➤साथ ही चीनी स्रोतों में भी कैडफिसेस शासक पूर्ववर्ती ही माने गए हैं । अतः यह मतः सत्य प्रतीत नहीं होता है । 

➤वही डा ० आर ० सी ० मजुमदार कनिष्क के राज्यारोहण की तिथि 248 ई ० में मानते हैं जबकि आर ० सी ० भंडारकर कनिष्क के राज्यारोहण की तिथि 278 ई 0 मानते है । 

➤लेकिन सम्राट कनिष्क के राज्यारोहण की तिथि के तृतीय शताब्दी तक मानने के पर्याप्त स्रोत व प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं । 

➤अतः इस मत भिन्नता के बावजूद भी कनिष्क की राज्यारोहण की तिथि 78 ई 0 में ही ठीक प्रतीत होती है । 

➤78 ई 0 में प्रचलित शक सम्वत् ही कनिष्क के राज्यारोहण की अधिक प्रमाणित तिथि है ।

➤ इस संवत पर आधारित गणना पद्धति कनिष्क के उत्तराधिकारियों द्वारा भी 108 प्रयुक्त की गई थी । 

➤बाद में यह संवत भारत के शक राजाओं द्वारा भी वृहद रूप में प्रयुक्त हुआ था जिससे यह शनैः शनैः शक सम्वत् के रूप में प्रयुक्त होने लगा ।


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