Introduction to Micro Economics - Nature and Scope of ​​Micro and Macroeconomics - Differences between Micro and Macro Economics

परिचय : व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र। व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र के विषय क्षेत्र तथा अंतर Notes in Hindi 

(Introduction to Micro Economics - Nature and Scope of ​​Micro and Macroeconomics - Differences between Micro and Macro Economics )

Table of Contents 👇

1. अर्थशास्त्र की परिभाषा

2. अर्थशास्त्र का विषय क्षेत्र (व्यष्टि तथा समष्टि)

3. व्यष्टि अर्थशास्त्र -

    1. विशेषताएं
    2. सीमाएं / दोष
4. समष्टि अर्थशास्त्र -

    1. विशेषताएं
    2. सीमाएं / दोष
5. व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र में अंतर


Introduction (परिचय)

अर्थशास्त्र की परिभाषा : 🔥

1. एडम स्मिथ - राष्ट्र के धन के स्वरूप तथा उसके कारणों की खोज (An Enquiry into Nature and Causes of Welth of Nations) ➡️ प्रकाशित - 1777 ई.

➤अर्थात् अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है।

2. प्रो. अल्फ्रेड मार्शल - अर्थशास्त्र जीवन की साधारण दिनचर्या में मानव के कार्यों का अध्ययन है। यह व्यक्ति तथा समाज के कार्यों के उस भाग की समीक्षा करता है जो सुख व कल्याण के लिए आवश्यक भौतिक साधनों की प्राप्ति और उनके उपभोग से घनिष्ठ रूप से संबंधित है।

➤अर्थशास्त्र एक और धन का अध्ययन है और दूसरी और जो कि अधिक महत्वपूर्ण है मनुष्य के अभियान का एक भाग है।

➤अर्थशास्त्र मानव कल्याण का विज्ञान है। 

➤Principals of Economics ➡️ प्रकाशित - 1890 ई.

3. लियोनल रॉबिंस - अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो अनेक उद्देश्य और वैकल्पिक उपयोगी वाले दुर्लभ साधनों के संबंध में मानव भार का अध्ययन करता है।

➤An Essay on the nature and significance of Economics science. ➡️ प्रकाशित - 1932 ई.

➤मान्यताएं - 

1.सीमित साधन।

2. असीमित आवश्यकताएं।

3. साधनों का वैकल्पिक उपयोग।

4. Wicksteed (विक्सटीड) - अर्थशास्त्र और नियमों का अध्ययन है जिनके अनुसार एक समाज के साधन इस प्रकार व्यवस्थित तथा संगठित किया जाए जिन में सामाजिक लक्ष्य बिना अपव्यय प्राप्त हो सके।

5. Stigler (स्टिगलर) - अर्थशास्त्र उन सिद्धांतों का अध्ययन है जो प्रतिस्पर्धी लक्ष्यों में दुर्लभ साधनों के के बंटवारे को निर्धारित करते हैं जबकि बंटवारे का उद्देश्य लक्ष्य (आवश्यकताओं) की अधिकतम संभव प्राप्ति करना है।

6. हैनरी स्मिथ - एक सभ्य समाज में कोई व्यक्ति अन्य व्यक्तियों द्वारा उत्पादित पदार्थों से किस प्रकार अपना भाग प्राप्त करता है और कैसे समाज के कुल उत्पादन में परिवर्तन होता है और कुल उत्पादन करें धारण होता है।


अर्थशास्त्र का विषय क्षेत्र :

➤अर्थशास्त्र को रेगनर फ्रिश ने सर्वप्रथम व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र में बांटा था।

➤Micro Economics ग्रीक शब्द Mikros से बना है जिसका अर्थ छोटा या लघु होता है।

➤Macro Economics ग्रीक शब्द Makros से बना है जिसका अर्थ विशाल होता है।

व्यष्टि अर्थशास्त्र : 🔥

➤व्यष्टि अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत इकाइयों तथा लघु समूहों की आर्थिक क्रियाओं का तथा उनके व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।

➤व्यष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था का सूक्ष्म स्तर पर अध्ययन करता है।

लगनर - व्यष्टि अर्थशास्त्र में अर्थशास्त्र को माइक्रोस्कोप द्वारा देखा जाता है जिससे पता चलता है कि आर्थिक जीवी के लाखो कोष (Cells) व्यक्ति तथा परिवार उपभोक्ताओं के रूप में तथा उत्पादकों के रूप में संपूर्ण आर्थिक जीवी के कार्यचालन में अपना योगदान किस प्रकार दे रहे हैं।

पदार्थ कीमत सिद्धांत - विभिन्न वस्तुओं जैसे कपड़ा, खाद्यान्न, जूट, केरोसिन तेल, वनस्पति, घी अन्य वस्तुओं की सापेक्ष कीमतें किस प्रकार निर्धारित होती है।

साधन कीमत निर्धारण - मजदूरी (श्रम), लगान (भूमि), ब्याज (पूंजी) तथा लाभ (उद्यमी) का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है।

व्यष्टि अर्थशास्त्र की विशेषताएं :-

1. व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन - 

➤सूक्ष्म अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत आय, व्यक्तिगत उत्पादन, व्यक्तिगत उपभोग आदि का अध्ययन किया जाता है।

2. छोटे-छोटे चरों का अध्ययन - 

➤इसके अंतर्गत छोटे-छोटे चरों का अध्ययन किया जाता है। 

➤इन चरों का प्रभाव इतना कम होता है कि इनके परिवर्तन का प्रभाव संपूर्ण अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ता है।

3. व्यक्तिगत कीमत का निर्धारण - 

➤व्यष्टि अर्थशास्त्र को मूल्य निर्धारण के नाम से भी पुकारा जाता है। 

➤इसके अंतर्गत मांग तथा पूर्ति के द्वारा वस्तुओं के कीमत का निर्धारण किया जाता है।

व्यष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएं / दोष  -

1. अर्थव्यवस्था का एक पक्षी चित्र प्रस्तुत करना - 

➤सूक्ष्म अर्थशास्त्र में केवल व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन किया जाता है। इसमें संपूर्ण अर्थव्यवस्था को स्थान नहीं दिया जाता है। 

➤फलतः देश की अर्थव्यवस्था का सही सही चित्र नहीं मिल पाता है। सूक्ष्म अर्थशास्त्र व्यापक दृष्टिकोण न अपनाकर संकुचित दृष्टिकोण अपनाता है।

2. काल्पनिक - 

➤व्यष्टि अर्थशास्त्र को वास्तविक मान्यताओं के आधार पर फलतः इसे काल्पनिक भी कहा जा सकता है। 

➤व्यष्टि अर्थशास्त्र केवल पूर्ण रोजगार वाली अर्थव्यवस्था में सही सही कार्य कर सकता है। जबकि पूर्ण रोजगार व्यवहार में नहीं पाया जाता है।

3. कुछ आर्थिक समस्याओं के लिए अनुपयुक्त - 

➤कुछ आर्थिक समस्याएं ऐसी होती है जिन का अध्ययन सूक्ष्म अर्थशास्त्र के अंतर्गत नहीं हो सकता है जैसे मौद्रिक नीति, राजस्व नीति, औद्योगिक नीति इत्यादि।

4. सूक्ष्म आर्थिक विश्लेषण के अनेक निष्कर्ष संपूर्ण व्यवस्था की दृष्टि से ठीक नहीं होते - 

➤व्यष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत इकाइयों के अध्ययन के आधार पर व्यापक निर्णय ले लेता है या व्यक्तिगत धारणाओं को व्यापक क्षेत्र के लिए सही मान लेता है परंतु व्यवहार में प्रायः यह देखने को मिलता है कि ऐसी धारणाएं सत्य नहीं होती है।


समष्टि अर्थशास्त्र :🔥

➤समष्टि अर्थशास्त्र में संपूर्ण आर्थिक व्यवस्था का अध्ययन सामूहिक रूप में किया जाता है।

➤इसके अंतर्गत कुल रोजगार, कुल राष्ट्रीय उत्पादन या आय, सामान्य कीमत स्तर आदि का अध्ययन किया जाता है।

समष्टि अर्थशास्त्र की विशेषताएं -

1. व्यापक दृष्टिकोण - 

समष्टि अर्थशास्त्र का दृष्टिकोण व्यापक है। इसमें सूक्ष्म चरों का कोई अस्थान नहीं होता। व्यापक अर्थशास्त्र गतिशील अर्थव्यवस्था के महानता को मापता है।

2. व्यापक विश्लेषण -

 इसके अंतर्गत व्यापक विश्लेषण को महत्व दिया जाता है। इसमें सरकार की मौद्रिक एवं राजस्व नीतियों के सामान्य प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।

3. व्यक्ति की उपेक्षा / समूह का हित - 

समष्टि अर्थशास्त्र में व्यक्ति की अपेक्षा समूह का अधिक ध्यान रखा जाता है।

4. परस्पर निर्भरता - 

व्यापक मात्राएं परस्पर इतनी संबद्ध होती है कि एक में परिवर्तन करने पर अन्य मात्राओं के समय अवसर में भी परिवर्तन हो जाता है।

समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएं / दोष -

1. निष्कर्षों का व्यावहारिक न होना - 

➤प्रायः व्यापकम मात्राओं का विश्लेषण करके बनाई गई नीतियां कभी-कभी भ्रामक परिणाम दे देती है।

➤जैसे यदि सामान्य कीमत सूचकांक को स्थिर देखकर हमें अनुमान लगाए की वस्तु की कीमत स्थिर है तो हमारा अनुमान गलत होगा।

➤कुछ वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होने पर अन्य वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है।

2. व्यक्तिगत इकाई महत्वहीन -

➤व्यापक आर्थिक विश्लेषण के अंतर्गत व्यक्तिगत इकाई की अपेक्षा संपूर्ण अर्थव्यवस्था को महत्व दिया जाता है।

➤इस प्रणाली की सबसे बड़ी दोष क्या है कि इन छोटी-छोटी आर्थिक इकाइयों के योग से संपूर्ण अर्थव्यवस्था की दीवार खड़ी की गई है और जो इकाइयां इस दीवार के नीव का काम कर रही हैं उनके महत्व अस्तित्व की उपेक्षा कर दी जाती है।

3. समूह की संरचना को महत्व न देना -

➤व्यापक अर्थशास्त्र के अंतर्गत सामान्य रूप से समूह की आकार प्रकार का सही अध्ययन किया जाता है न की समूह की संरचना का।

➤जब तक समूह के बराबर तथा उसके सभी अंगों के सही-सही जानकारी प्राप्त नहीं कर ली जाती है तब तक इस संबंध में की जाने वाली भविष्यवाणी या निराकार है।

4. सामूहिक मात्राएं व्यक्तिगत मात्राओं का सही प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं -

➤यहां यह कहा जा सकता है कि अर्थव्यवस्था का एक समूह अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को सामान्य रूप से प्रभावित नहीं कर सकता है।

➤उदाहरण के लिए कुल मांग में वृद्धि के स्वरूप कुल उत्पादन बढ़ेगा परंतु कुछ फर्में ऐसी भी होंगे जिनका उत्पादन बढ़ाने पर लागते भी बढ़ेंगी और कुछ ही लागते कम होंगी।


व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र में अंतर : 🔥


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