Introduction of Macro Economics Economic Issue in Economy

समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय - महत्व - विशेषताएं - सीमाएं - उद्देश्य - विकास - विषय क्षेत्र Introduction of Macro Economics, Macro Economic Issue in Economy .


समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय

➤मेंक्रो (Macro) शब्द की व्युत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द Makro से हुई है जिसका अर्थ होता है ' बड़ा । 
➤समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत संपूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्ययन करते हैं या उन बड़ी इकाईयों का अध्ययन करते हैं जिनका सम्बन्ध संपूर्ण अर्थव्यवस्था से होता है , जैसे- 
➤कुल राष्ट्रीय आय , कुल बचत , कुल विनियोग इत्यादि । 
➤किसी भी अर्थव्यवस्था के समग्र चरों ( aggregate variables ) जैसे राष्ट्रीय आय , रोजगार , मूल्य स्तर , बचत विनियोग , भुगतान शेष आदि का अध्ययन किया जाता है । 
➤समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था के क्रियाशीलता से सम्बन्धित है जिसमें वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन , किसी समय अवधि में उसकी वृद्धि दर , साधनों के रोजगार का स्तर , बचत तथा विनियोग आदि का निर्धारण एवं इसमें किसी समय अवधि में परिवर्तन का अध्ययन किया जाता है । 
➤भुगतान शेष तथा भुगतान संतुलन से सम्बन्धित समस्याओं का अध्ययन भी सम्मिलित है ।
1. प्रो . बोल्डिंग ( Bolding ) के अनुसार , “ व्यापक अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत मात्राओं का अध्ययन नहीं किया जाता है , बल्कि इन मात्राओं के योग का अध्ययन किया जाता है । 
2. गार्डनर एकले ( Gardner Ackley ) के अनुसार “ समष्टिगत अर्थशास्त्र का सम्बन्ध समस्त अर्थव्यवस्था अथवा उनके बड़े बड़े क्षेत्र से है।
3. प्रो . शुल्ज ( Prof. Shultz ) के अनुसार “ व्यापक अर्थशास्त्र का मुख्य यन्त्र राष्ट्रीय आय विश्लेषण करता है । ” 
4. प्रो . चेम्बरलिन ( Chamberlin ) के अनुसार “ व्यापक अर्थशास्त्र समग्र सम्बन्धों का अध्ययन करता है । ” 
5. ब्रेन हिलियट के अनुसार “ समष्टि अर्थशास्त्र प्रमुख आर्थिक समग्रों जैसे उत्पादन , बेरोजगारी , मुद्रास्फीति , भुगतान शेष आदि के व्यवहार का अध्ययन है । ” " 
6. प्रो . जे.के. मेंहता के अनुसार , “ समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण निकाय का अर्थशास्त्र है जबकि व्यष्टि अर्थशास्त्र इस निकाय के संघटकों का अर्थशास्त्र है । ” 
7. आर.जी. डी . एकले - "समष्टि अर्थशास्त्र विस्तृत आर्थिक समग्रों के बीच सम्बन्धों के अध्ययन से सम्बन्धित है । ”
8. शेपिरो - समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था के कार्यकरण से संबंधित है।
➤समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था या समग्रों में व्यवहार का अध्ययन है । 

समष्टि अर्थशास्त्र का उद्देश्य 🔥

  • वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन
  • पूर्ण रोजगार प्रदान करना
  • तीव्र आर्थिक विकास को सुनिश्चित करना
  • मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण रखना
  • वस्तु एवं सेवाओं की कीमतों में स्थायित्व प्रदान करना 
  • व्यापार चक्र को समाप्त कर आर्थिक स्थिरता प्रदान करना

समष्टि अर्थशास्त्र का उपकरण 🔥

  • राजकोषीय नीति
  • मौद्रिक नीति
  • विनिमय दर नीति

समष्टि अर्थशास्त्र का विकास 🔥

➤सर्वप्रथम 1933 में रेगनर फ्रीश ने समष्टि अर्थशास्त्र का प्रयोग किया।

समष्टि अर्थशास्त्र की विषय वस्तु 🔥

  • राष्ट्रीय आय का सिद्धांत
  • रोजगार का सिद्धांत
  • मुद्रा का सिद्धांत
  • सामान्य कीमत स्टार का सिद्धांत
  • आर्थिक समृद्धि एवं विकास का सिद्धांत
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का सिद्धांत
  • वितरण का समग्र सिद्धांत

1. राष्ट्रीय आय का सिद्धान्त- 

➤समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय की धारणा , इसके विभिन्न तत्व एवं माप की विधियों आदि का अध्ययन किया जाता है । 

2. रोजगार का सिद्धांत- 

➤इस सिद्धान्त के अन्तर्गत बेरोजगारी एवं रोजगार तथा इसको प्रभावित करने वाले तत्वों एवं इससे सम्बन्धित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है । 
➤रोजगार को प्रभावित करने वाले विभिन्न तत्व जैसे समग्र पूर्ति , समग्र उपभोग , समग्र निवेश , कुल बचत एवं प्रभावपूर्ण मांग आदि का अध्ययन किया जाता है । 

3. मुद्रा का सिद्धान्त - 

➤मुद्रा की माँग एवं पूर्ति में परिवर्तन रोजगार के स्तर को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण तत्व है । 
➤समष्टि अर्थशास्त्र मुद्रा के कार्य एवं इससे सम्बन्धित चरों ( जैसे स्फीति अवस्फीति , संस्फीति , विस्फीति , स्टैगफ्लेशन एवं मुद्रा का विनिमय दर आदि ) का अध्ययन करता है । 

4. सामान्य कीमत स्तर का सिद्धान्त- 

➤सामान्य कीत स्तर में परिवर्तन अर्थात् मुद्रास्फीति और अवस्फीति , मूल्य सूचकांक के निर्माण आदि का अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत किया जाता है । 

5. आर्थिक संवृद्धि एवं विकास का सिद्धान्त- 

➤समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत विकसित एवं अल्पविकसित देशों में संवृद्धि एवं विकास अर्थात् प्रतिव्यक्ति वास्तविक आय में होने वाले परिवर्तन से सम्बन्धित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है । 
➤समस्याओं के समाधान हेतु राजस्व , मौद्रिक एवं राजकोषीय नीति का प्रयोग किया जाता है । 
➤मौद्रिक एवं राजकोषीय नीति समष्टि अर्थशास्त्र की प्रमुख नीति है । 

6. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का सिद्धान्त -

➤ अर्थशास्त्र के अध्ययन को हम चार भागों में बाँट सकते हैं 
( क ) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त
( ख ) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार नीति
( ग ) भुगतान शेष
( घ ) भुगतान शेष में समायोजन ।
➤अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार नीति अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र के सूक्ष्म अर्थशास्त्र के पहलू का प्रतिनिधित्व करते हैं
➤भुगतान शेष एवं भुगतान शेष का समायोजन समष्टि अर्थशास्त्र के पहलू का प्रतिनिधित्व करते हैं । 

7. वितरण का समग्र सिद्धान्त- 

➤साधनों के वितरण का अध्ययन समष्टि एवं व्यष्टि दोनों अर्थशास्त्र में किया जाता है।
➤सूक्ष्म अर्थशास्त्र एवं समष्टि अर्थशास्त्र दोनों में ' साधनों के वितरण ' की समस्या के सम्बन्ध में अन्तर ‘ योग के स्तर ’ का है ।

समष्टि अर्थशास्त्र की विशेषताएँ 🔥

1. समग्र इकाइयाँ- 

➤समष्टि अर्थशास्त्र में समग्र इकाइयों का अध्ययन करते हैं ।
➤राष्ट्रीय बचत और विनयोग , सकल राष्ट्रीय उत्पाद , राष्ट्रीय आय , कुल रोगार , समग्र माँग एवं समग्र पूर्ति आदि । 

2. संपूर्ण अर्थव्यवस्था -

➤समष्टि अर्थशास्त्र में संपूर्ण अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित समष्टि नीतियों एवं इसके प्रभाव का अध्ययन किया जाता है । 

3. तुलनात्मक अध्ययन - 

➤समष्टि अर्थशास्त्र किसी विषय का अध्ययन तुलनात्मक अर्थ में करता है ।
➤दो समयावधियों के भीतर राष्ट्रीय आय , बचत , विनियोग एवं कुल रोजगार आदि । 

4. आय का सिद्धांत -

➤समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत आय के निर्धारण एवं इसे प्रभावित करने वालो तत्वों का अध्ययन किया जाता है । इसलिए इसे आय सिद्धांत भी कहते हैं । 
➤आय सिद्धान्त को रोजगार का सिद्धान्त भी कहते हैं क्योंकि श्रम को रोजगार पर लगाने से ही राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है. 

5. व्यष्टि अर्थशास्त्र का पूरक - 

➤समष्टि अर्थशास्त्र व्यष्टि विश्लेषण द्वारा निकाले गये निष्कर्षों की सत्यता की जाँच करता है इसलिए समष्टि अर्थशास्त्र को व्यष्टि अर्थशास्त्र का पूरक मानते हैं । 

6. समष्टि उपकरण -

➤अर्थव्यवस्था को संतुलन में रखने एवं विकास से सम्बन्धित विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए समष्टि उपकरणों ( मौद्रिक नीति , राजकोषीय नीति , आय नीति एवं विदेशी विनिमय नीति ) का प्रयोग किया जाता है । 

समष्टि अर्थशास्त्र का महत्व 🔥

1. आर्थिक नीतियों के निर्माण में सहायक 
2. आर्थिक विकास में उपयोग सामान्य बेरोजगारी के अध्ययन में सहायक 
3. राष्ट्रीय आय के विश्लेषण में सहायक
4. अंतरराष्ट्रीय तुलना मौद्रिक समस्याओं के अध्ययन में सहायक 
5. व्यापार चक्र के अध्ययन में सहायक 
6. व्यापक अर्थशास्त्र विरोधाभासी

समष्टि अर्थशास्त्र की समस्याएं 🔥

1. समृद्धि एवं विकास -

➤समृद्धि तथा विकास समष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन का केंद्र बन गया है।
➤समृद्धि को विकास के रूप में रूपांतरित किया जाना चाहिए।
➤समृद्धि की प्राप्ति के लिए -
पर्यावरण का पतन व्यक्ति द्वारा ना हो
अनवीकरणीय संसाधन का अति दोहन ना हो
धारणीय विकास को बढ़ावा देना

2. रोजगार -

1929 में महामंदी ➡️ उत्पादन कम ➡️लाभ में कमी ➡️ निवेश में कमी ➡️ बेरोजगारी में वृद्धि

3. व्यवसायिक चक्र - 


जहां,
  • Recovery (पुनरुत्थान)
  • Prosperity (समृद्धि)
  • Recession (सस्ती)
  • Peak (तेजी) / Boom

4. मुद्रास्फीति :

➤वह स्थिति जब सामान्य कीमत स्तर में एक निश्चित समय अवधि में निरंतर बढ़ने की प्रवृत्ति पाई जाती हैं।
➤मुद्रा की मात्रा ⬆️ ➡️ मुद्रा का मूल्य ⬇️ ➡️ क्रय शक्ति ⬇️ ➡️ वस्तु का मूल्य ⬆️
  1. दौड़ती मुद्रा स्फीति
  2. अत्ति मुद्रा स्फीति

5. बजट संबंधी घाटा तथा राजकोषीय नीति -

➤सरकारी खर्च वस्तुओं सेवाओं के उपभोग पर अधिक हैं तथा उत्पादन पर कम
➤राजकोषीय घाटा (सरकार द्वारा ऋण लेना) बढ़ाता जा रहा है।
➤ऋण ⬆️ ➡️ नोट निर्गमन ⬆️ ➡️ मुद्रा की मात्रा ⬆️ ➡️ मुद्रा का मूल्य ⬇️ ➡️ मुद्रा स्फीति की स्थिति

6. ब्याज दर तथा मौद्रिक नीति -

➤मौद्रिक नीति - 
  • ब्याज दर में परिवर्तन करना
  • मुद्रा पूर्ति में परिवर्तन करना

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