लागत की धारणाएं - लागत के प्रकार - लागत फलन Concept of Cost - type - Cost Function.

लागत की धारणाएं - लागत के प्रकार - लागत फलन Concept of Cost - type - Cost Function.

Table of Contents 👇

1 कुल लागत
2. औसत लागत
3. सीमांत लागत
4. औसत लागत U आकार का क्यों होता है
5. औसत तथा सीमांत लागत में संबंध

लागत की धारणाएं (Concepts of Costs) 🔥

1. मुद्रा लागत (Money Cost) :

➤मुद्रा लागत को वित्तीय लागत भी कहा जाता है।

➤मुद्रा के रूप में वे सारे भुगतान जो कोई उत्पादक अन्यों को जो उसे उत्पादन में प्रयोग होने वाले साधनों और सेवाएं उपलब्ध कराते है को देता है।

➤उत्पादक द्वारा मुद्रा रूप में श्रमिको को मजदूरी, कच्चा माल की पूर्ति करने वालो की कीमतें, मशीनरी खरीदने पर व्यय आदि मुद्रा लागते है।

2. वास्तविक लागत (Real Cost) :

➤वस्तु उत्पादित करने में परिश्रम करने, त्याग करने और असुविधा एवं दुख उठाने से है।

➤किसी वस्तु का आर्थिक लागत देश के लोगो द्वारा उसके लिए किए गए प्रयत्न, परिश्रम, त्याग आदि है।

➤जैसे मेज बनाने में वनों से लकड़ी काटने ले लगे श्रमिको की लागत, लकड़ी को चीरने में परिश्रम की लागत, उसे साफ करने तथा मेज बनाने की लागत सभी का योग वास्तविक लागत है।

3. अवसर लागत (Opportunity Cost) :

➤किसी वस्तु का अवसर लागत वह अन्य सर्वोत्तम वैकल्पिक वस्तु है जिसका परित्याग किया जाता है।

➤किसी वस्तु की अवसर लागत वह अन्य सर्वोत्तम विकल्प है जो इसके बजाय उन्ही साधनों से अथवा मौद्रिक मूल्य वाले साधनों के द्वारा उत्पादित किया जा सकता है।

➤एक वस्तु की वैकल्पिक या अवसर लागत को मौद्रिक मूल्य भी कहा जा सकता है।

➤एक फर्म के लिए किसी साधन की अवसर लागत उसके सर्वोत्तम वैकल्पिक उपयोग में न लगाने से परित्याग किया गया मूल्य होता है।

➤किसी वस्तु के उत्पादन में लगाए गए स्वयं उद्यमाकर्ता द्वारा पूर्ति की गए विभिन्न साधनों की अन्य सर्वोत्तम उपयोगों में कुल वैकल्पिक आये उस वस्तु की अवसर लागत की संघटक होती है।

➤स्तुओ की सापेक्ष कीमतें उनकी अवसर लागतों को प्रकट करती है।

4. निजी लागत (Private Cost) :

➤एक पदार्थ को उत्पादित करने के लिए फर्म द्वारा व्यय की गई स्पष्ट तथा अस्पष्ट लागतों का योगफल निजी लागत का संघटक है।

➤एक कीटनाशक दवाओं का उत्पादन करने वाली फर्म कच्चे माल, श्रमिक तथा इसके द्वारा प्रयुक्त पूंजी को खरीदने के लिए भुगतान करती है जिसे निजी लागत कहते है।

5. सामाजिक लागत (Social Cost) :

➤एक फर्म के उत्पादन के कारण अन्य फर्म या उपभोक्ता को पहुंचाए गए बाह्य लाभ तथा हानिया सामाजिक लागत के अंग है।

➤कीटनाशक दवाओं के उत्पादन प्रक्रिया में कुछ उप पदार्थ जैसे दुर्गंध, प्रदूषित वायु तथा कीटनाशक दवाओं के साथ उत्सर्जित बाहरी प्रभाव उन लोगो को आर्थिक हानि करते है जो आसपास के क्षेत्र में निवास करते है। इसे सामाजिक लागत कहते है।

➤सामाजिक लागत निजी लागत तथा उनके द्वारा अन्य व्यक्तियों पर किए गए विशुद्ध आर्थिक हानियां तथा प्रदत्त विशुद्ध लाभ का योगफल है।

6. उत्पादन लागत (Production Cost) :

➤एक उत्पादक मजदूरी को मजदूरी, कच्चे माल, ईंधन तथा ऊर्जा की कीमतें, भवन को किराया, मुद्रा को ब्याज का भुगतान करता है जिसे उत्पादन लागत कहते है।

➤उद्यमी द्वारा स्वयं निवेशित मौद्रिक पूंजी पर सामान्य प्रतिफल को उत्पादन लागत में शामिल किया जाता है।

➤उद्यमी का मजदूरी या वेतन को उत्पादन लागत में शामिल किया जाता है।

7. स्पष्ट लागत :

➤विभिन्न साधनो को किराए पर लेने या खरीदने के लिए फर्म द्वारा किए जाने वाले नकद भुगतान या लेखांकन लगातें को स्पष्ट लागत भी कहा जाता है।

➤स्पष्ट लगातें निजी अवसर लगातें भी है।

8. अस्पष्ट लागत :

➤उद्यमी द्वारा विनियोजित मौद्रिक पूंजी पर सामान्य प्रतिफल तथा उसकी सेवाओं के लिए मजदूरी तथा वेतन एवं उन अन्य साधनों की अवसर लागत जिनका वह स्वयं स्वामी है तथा उन्हें अपनी फर्म में उपयोग करता है उन्हें अस्पष्ट या निहित लागते कहा जाता है।

9. आर्थिक लागत (Economic Cost) :

आर्थिक लागत = लेखांकन लागत + अस्पष्ट लागत

आर्थिक लाभ = कुल आय - आर्थिक लगातें

आर्थिक लाभ = कुल आय - (स्पष्ट लागत + अस्पष्ट लागत)

➤सामान्य लाभों को उन आवश्यक भुगतानों के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एक उद्यमकर्ता को उसे वर्तमान व्यवसाय या उद्योग में बने रहने के लिए अवश्य किया जाना चाहिए। (व्यवसाय में प्रदान की गई प्रबंधकीय सेवाओं के लिए मजदूरी या वेतन)

लागत : अल्पकाल तथा दीर्घकाल 🔥

(Cost Function : Short Run and Long Run)

1. अल्पकालीन लागत : 

➤वे लगातें जो किसी फर्म को उस समय उठानी पड़ती है जब कुछ साधन जैसे पूंजी साज सामान, भूमि, प्रबंध आदि स्थिर रहते है।

➤अल्पकालीन लगाते वस्तु उत्पादन के लिए आवश्यक श्रम, कच्चा माल, रसायन, ईंधन के क्रय पर की जाती है।

➤अल्पकालीन लागते उत्पादन मात्रा में घट बढ़ होने से बदलती है।

2. दीर्घकालीन लागत : 

➤वे लगाते जो किसी समयावधि में उठानी पड़ती है जिसमे सभी उत्पादन के साधनो में परिवर्तन किया जा सकता है।

लागत फलन (Cost Function) 🔥

लागत फलन :

➤लागत तथा उत्पादन के बीच फलनात्मक संबंध को लागत फलन कहते है।

C = f(Q)

1. दीर्घकालीन लागत फलन (Long Run Cost Function) :

➤दीर्घकालीन उत्पादन तथा लागत के बीच फलनात्मक संबंध को दीर्घकालीन लागत फलन कहते है -

          Q = f (Q)

2. अल्पकालीन लागत फलन (Short Run Cost Function):

➤अल्पकालीन उत्पादन फलन में श्रम तथा कच्चा माल के अलावा सभी साधन स्थिर होते है।

जहां,

C = कुल लागत

Q = उत्पादन की मात्रा

T = तकनीक

PF = उत्पादन के साधनों की कीमतें

K = पूंजी की मात्रा

➤फर्म वस्तु की विभिन्न मात्राओं को न्यूनतम संभव लागत पर उत्पादित करती है।

➤उत्पादन के लिए अनुकूलतम अथवा आर्थिक दृष्टि से कुशल साधन संयोग का उपयोग किया जाता है।

लागत (Cost) 🔥

लागत :  

➤उत्पादन के साधनों पर किया गया खर्च लागत कहलाता है।

➤उत्पादन के साधन - भूमि, श्रम, पूंजी, उद्यमी, साहसी, संगठन आदि।

लागत तीन प्रकार के होते हैं -

  1. कुल लागत (Total Cost)
      • कुल स्थिर लागत (Total Fixed Cost)
      • कुल परिवर्तनशील लागत (Total Variable Cost)
  2. औसत लागत (Average Cost)
      • औसत परिवर्तनशील लागत (Average Variable Cost)
      • औसत स्थिर लागत (Average Fixed Cost)
  3. सीमांत लागत (Marginal Cost)

1. कुल लागत :

➤उत्पादन के साधनों पर किया गया कुल खर्च कुल लागत कहलाता है।

TC = TFC + TVC

TC = AC × Q

TC = MC का योगफल

➤कुल लागत कुल उत्पादन का फलन है। 

TC = f (q). जहां, q = कुल उत्पादन

TC = TFC + TVC

(TFC एक स्थिर राशि K है, TVC परिवर्तनशील साधन की मात्रा L तथा उसकी कीमत w के गुणांफल के बराबर है।)

➤कुल लागत कुल स्थिर लागत तथा कुल परिवर्तनशील लागत का जोड़ होती है।

➤कुल लागत तथा कुल परिवर्तनशील लागत के बीच का स्थान कुल स्थिर लागत को दर्शाता है।

➤कुल लागत की आकृति कुल परिवर्तनशील लागत के जैसा होता है।

a. कुल स्थिर लागत -

➤स्थिर लागतो पर किया गया कुल खर्च।

       TC = TFC + TVC

       TFC = TC - TVC

TFC = AFC × Q

b. कुल परिवर्तनशील लागत -

➤परिवर्तनशील साधनों पर किया गया कुल खर्च।

TC = TFC + TVC

TVC = TC - TFC

TVC = AVC × Q

2. औसत लागत :

➤प्रति इकाई लागत को औसत लागत कहते है।

➤इसे कुल लागत को उत्पादन की इकाई से भाग देकर ज्ञात किया जाता है।

a. औसत स्थिर लागत :

➤इसे कुल स्थिर लागत को उत्पादन की इकाई से भाग देकर ज्ञात किया जाता है।

➤औसत स्थिर लागत उत्पादन बढ़ने पर लगातार घटती जाती है।

➤औसत स्थिर लागत का वक्र दाईं ओर नीचे को गिरता हुआ होता है।

➤औसत स्थिर लागत कभी भी X अक्ष को स्पर्श नहीं करता है।

➤AFC का आकार आयताकार अतिपरवलय के आकार का होता है।

b. औसत परिवर्तनशील लागत :

➤इसे कुल परिवर्तनशील लागत को उत्पादन की इकाई से भाग देकर ज्ञात किया जाता है।


➤औसत परिवर्तनशील लागत उत्पादन की प्रति इकाई परिवर्तनशील लागत है।

➤कुछ सीमा तक औसत परिवर्तनशील लागत बढ़ते प्रतिफल के कारण घटता है और फिर ह्रासमान प्रतिफल के कारण तेजी से बढ़ने लगता है

3. सीमांत लागत :

➤एक अतिरिक्त इकाई उत्पादन की किया गया खर्च सीमांत लागत कहलाता है।

➤सीमांत लागत वस्तु की n -1 इकाइयां उत्पादित करने के बजाय n इकाइयां उत्पादन करने पर उत्पादन लागत में वृद्धि को कहते है।

MC = TCn - TCn-1


औसत लागत U आकार का होता है :

➤आरंभ में औसत परिवर्तनशील लागत और स्थिर लागत वक्र नीचे गिरते है फलस्वरूप औसत कुल लागत वक्र आरंभ में तेजी से नीचे को गिरता है।

➤जब औसत परिवर्तनशील लागत (AVC) ऊपर बढ़ता है और कुल स्थिर लागत (AFC) नीचे गिरता है तो औसत कुल लागत वक्र नीचे को गिरना जारी रखता है।

➤जब उत्पादन बढ़ाया जाता है तो औसत परिवर्तनशील लागत अधिक तीव्रता से बढ़ती है और औसत स्थिर लागत में गिरावट धीमी गति से होती है जिससे औसत कुल लागत वक्र ऊपर की ओर बढ़ने लगता है।

➤औसत लागत वक्र औसत परिवर्तनशील लागत की तरह आरंभ में नीचे को गिरता है और निम्नतम बिंदु पर पहुंच कर ऊपर चढ़ना आरंभ कर देता है जिससे औसत कुल लागत वक्र U अक्षर का हो जाता है।

औसत लागत तथा सीमांत लागत वक्रो में संबंध :

➤जब सीमांत लागत औसत लागत से कम होती है तो औसत लागत घटती है और जब सीमांत लागत औसत लागत से अधिक होती है तो औसत लागत बढ़ती है।

➤जब सीमांत लागत औसत लागत से अधिक होता हैं तो औसत लागत बढ़ता है।

➤जब सीमांत लागत औसत लागत से कम होता है तो औसत लागत घटती है।

➤जब सीमांत लागत औसत लागत के समान होता है तो औसत लागत स्थिर रहती है।

➤जब सीमांत लागत औसत लागत के नीचे है तो औसत लागत वक्र नीचे को गिरता है।

➤जब सीमांत लगता वक्र औसत लागत वक्र के ऊपर स्थित होता है तो औसत लागत वक्र ऊपर को चढ़ता है।

➤जब सीमांत लागत वक्र तथा औसत लागत वक्र समान होते है औसत लागत वक्र अपने निम्नतम बिंदु (L) पर स्थिर होता है।


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