Parivartanshil Anupat ka Niyam - Avasthaen - Mahatv : Theory of Production

परिवर्तनशील अनुपात का नियम - अवस्थाएं - महत्व : उत्पादन का सिद्धांत (Parivartanshil Anupat ka Niyam - Avasthaen - Mahatv : Theory of Production)


Table of Contents 👇🏻👇🏻


परिवर्ती अनुपात का नियम : अल्पकाल

परिवर्तनशील अनुपात का नियम :🔥

➤इस नियम के अंतर्गत साधनों के अनुपात में परिवर्तन का उत्पादन पर प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।
➤यह नियम घटते अथवा ह्रासमान प्रतिफल के पुराने नियम का नया नाम है।
स्टिगलर (Stigler) - "जब कुछ साधनों को स्थिर रखकर एक साधन में समान वृद्धियां की जाती है तो एक सीमा के बाद उत्पादन में होने वाली वृद्धियां कम हो जाती है अर्थात् सीमांत उत्पाद घट जाती है।"
बैनहम (Benham) - "जब किसी साधन के संयोग में एक साधन का अनुपात बढ़ता जाता है तो एक सीमा के बाद पहले उस साधन का सीमांत उत्पादन और फिर औसत उत्पादन घट जाता हैं।"
सैम्युलसन (Samuelson) - "स्थिर साधनों की तुलना में कुछ साधनों में वृद्धि करने से उत्पादन में वृद्धि होगी परंतु एक बिंदु के बाद साधनों की समान वृद्धियो से प्राप्त अतिरिक्त उत्पादन उत्तरोत्तर कम हो जाएगा।"
प्रो. बोल्डिंग - " जब एक साधन की स्थिर मात्रा के साथ किसी अन्य साधन की मात्रा को बढ़ाया जाता है तो परिवर्तनशील साधन की सीमांत भौतिक उत्पादकता अंततः घाट जाएगी।"
➤कुछ साधनों के स्थिर रहने पर एक साधन की वृद्धि करने पर उत्पादन में होने वाले परिवर्तन की चर्चा करता है और ऐसा करने से परिवर्तनशील साधन में वृद्धि करने से उसके सीमांत उत्पादन तथा औसत उत्पादन घट जाएंगे।

परिवर्तनशील अनुपात के नियम की तीन अवस्थाएं :🔥

➤जब कुछ साधनों के स्थिर रहने पर एक साधन की मात्रा को बढ़ाया जाता है तो इसके कारण उत्पादन को तीन अवस्था में बांटा जाता है।




प्रथम अवस्था (Stage 1) :- बिंदु O से N तक -
➤कुल उत्पाद की ढाल बिंदु O से F तक बढ़ती है अर्थात् F बिंदु तक कुल उत्पाद बढ़ती दर से बढ़ता है।
➤बिंदु F तक कुल उत्पाद वक्र ऊपर की ओर नतोदर है।
➤बिंदु F के पश्चात कुल उत्पाद की ढाल घटती जाती है अर्थात् कुल उत्पाद वक्र घटती दर से बढ़ता है।
➤F बिंदु मोड़ बिंदु कहलाता है।
➤श्रम का सीमांत उत्पाद घटता है किंतु धनात्मक होता है।
➤मोड़ बिंदु पर सीमांत उत्पाद अधिकतम होता है तथा बाद में घटने लगता है।
➤कुल उत्पाद वक्र बिंदु F से T तक नीचे की ओर नतोदर होता है।
➤सीमांत उत्पाद गिरता है किंतु धनात्मक होता है जिस कारण औसत उत्पाद निरंतर बढ़ता है।
➤जब सीमांत उत्पाद तथा औसत उत्पाद बराबर होते है तो औसत उत्पाद अधिकतम होता है।
➤प्रथम अवस्था को बढ़ते प्रतिफल की अवस्था के नाम से जाता जाता है।

दूसरी अवस्था (Stage 2) :- बिंदु N और M के बीच -
➤कुल उत्पाद घटती दर बढ़ना जारी रखता है तथा अधिकतम बिंदु पर होता है।
➤सीमांत उत्पाद तथा औसत उत्पाद दोनो घटते है किंतु औसत उत्पाद सीमांत उत्पाद से अधिक होता है।
➤सीमांत उत्पाद शून्य हो जाता है जहां कुल उत्पाद अधिकता हो जाता है।
➤फर्म दूसरी अवस्था के अंर्तगत उत्पादन कार्य करती है।
➤दूसरी अवस्था को घटते प्रतिफल की अवस्था कहते है।

तीसरी अवस्था (Stage 3) :- बिंदु M के बाद -
➤कुल उत्पाद घटता है तथा नीचे की ओर झुका होता है।
➤सीमांत उत्पाद ऋणात्मक हो जाता है।
➤स्थिर साधन से अधिक परिवर्तनशील साधन का प्रयोग होने के कारण सीमांत उत्पाद ऋणात्मक हो जाता है।
➤औसत उत्पाद गिरता है किंतु X अक्ष को स्पर्श नहीं करता है।
➤इस अवस्था को ऋणात्मक प्रतिफल की अवस्था कहते हैं।

परिवर्तनशील अनुपात के नियम का महत्व :🔥

1. अर्थशास्त्र का आधारभूत नियम : 
➤यह नियम कृषि के अलावा खनन, मछली पालन, मकान निर्माण आदि सभी उत्पादक क्षेत्रों में लागू होता है।
➤इसे एक सार्वभौमिक नियम कहा जाता है।

2. माल्थस के जनसंख्या सिद्धांत का आधार :
➤इसके अनुसार खाद्यान्न में वृद्धि जनसंख्या में वृद्धि से कम होती है।
➤खाद्यान्नो में कम वृद्धि का कारण उत्पत्ति ह्रास नियम है।

3. सीमांत उत्पादकता सिद्धांत का आधार :
➤उत्पत्ति के साधनों को उनकी सीमांत उत्पादकता के आधार पर पुरस्कार दिया जाता है।

4. रिकार्डो के लगान सिद्धांत का आधार :
➤सीमांत इकाई की तुलना में पहले की इकाइयों से जो बचत प्राप्त होती है उसे लगान कहते है।
➤लगान उत्पत्ति ह्रास नियम की क्रियाशीलता का परिणाम है।



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