दीर्घकालीन लागत : औसत, सीमांत तथा कुल लागत (Long Run Cost Curves - Avarage - Marginal and Total Cost )
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दीर्घकालीन लागत वक्र
➡️दीर्घकाल में कोई साधन स्थिर नहीं होते सभी साधनों को उत्पादन के अनुसार बदला जाता है।
➡️दीर्घकालीन लागत वक्र उत्पादन मात्रा और दीर्घकालीन उत्पादन लागत के बीच संबंध को व्यक्त करता है।
दीर्घकालीन औसत लागत🔥
➡️दीर्घकालीन औसत लागत दीर्घकालीन कुल लागत को उत्पादन की मात्रा से विभाजित करके प्राप्त किया जाता है।
➡️अल्पकालीन औसत लागत वक्रो को संयंत्र वक्र भी कहा जाता है क्योंकि अल्पकाल में संयंत्र स्थिर होते है।
➡️उत्पादन मात्रा OB तक SAC1 पर उत्पादन करने से औसत लागत कम बैठती है।
➡️बिंदु L से Q तक SAC2 की तुलना में SAC1 से उत्पादन करने पर कम लागत होती है।
➡️बिंदु Q से R तक SAC1 पर उत्पादन करने से कम औसत लागत होती है।
➡️बिंदु R या उत्पादन मात्रा OD के बाद SAC3 पर उत्पादन कार्य किया जाएगा।
➡️दीर्घकालीन औसत लागत वक्र वस्तु की विभिन्न मात्राएं उत्पादित करने के लिए न्यूनतम औसत लागतों को दर्शाता है।
➡️दीर्घकालीन औसत लागत वक्र टेढ़ा मेढा है जिसे रेखाकृति 16.11 में मोटे रंगो से दिखाया गया है।
➡️अधिक संख्या में अल्पकालीन औसत लागत वक्र दी होने पर सभी स्पर्श बिंदुओं को मिलाने से दीर्घकालीन औसत लागत वक्र का निर्माण होता है।
➡️वस्तु की OM मात्रा उत्पादित करने के लिए दीर्घकालीन औसत लागत वक्र के बिंदु G का प्रयोग फर्म द्वारा किया जाएगा।
➡️दीर्घकालीन औसत लागत वक्र LAC को आवरण भी कहा जाता है।
➡️वस्तु की बड़ी मात्रा को बड़े संयंत्र तथा कम मात्राओं को छोटे संयंत्रों के द्वारा न्यूनतम लागत पर उत्पादित की जा सकती है।
➡️ दीर्घकालीन औसत लागत वक्र आरंभ में नीचे की ओर गिरता है और फिर एक बिंदु के पश्चात ऊपर की ओर चढ़ता है।
➡️अतः दीर्घकालीन औसत लागत वक्र अंग्रेजी के U अक्षर के जैसा होता है तथा यह अधिक चपटा होता है।
➡️दीर्घकालीन औसत लागत वक्र अल्पकालीन औसत लागत वक्र के न्यूनतम बिंदुओं से स्पर्श नहीं करता है।
इष्टतम संयंत्र, इष्टतम उत्पादन तथा इष्टतम फर्म :
➡️अल्पकालीन औसत लागत वक्र SAC4 का संयंत्र इष्टतम संयंत्र है क्योंकि क्योंकि इसका न्यूनतम उत्पादन लागत अन्य सभी संयंत्रों की न्यूनतम लागतों से कम है।
➡️यदि फर्म इष्टतम संयंत्र SAC4 को लगा कर इससे OQ इष्टतम मात्रा उत्पादित करती है तो यह इष्टतम आकार होगा।
➡️इष्टतम फर्म या फर्म का इष्टतम आकार वह है जो इस इष्टतम संयंत्र को लगाकर उसे इष्टतम उत्पादन करती है।
➡️अतः इष्टतम फर्म वह जो जो कि दीर्घकालीन औसत लागत वक्र के न्यूनतम बिंदु पर उत्पादन कर रही होता है।
➡️ कृषि, खनन, थोक तथा फुटकर व्यापार में फर्म का इष्टतम आकार बहुत छोटा होता है।➡️इस्पात तथा अन्य भारी उद्योग, कार निर्माण, सार्वजनिक उपयोगिताएं जैसे जनता को बिजली, गैस, जल की पूर्ति के वितरण के कार्य आदि में फर्म का इष्टतम आकार बहुत बड़ा होता है।
स्थिर लागत की दशा में दीर्घकालीन औसत लागत वक्र :
➡️यदि उत्पादन फलन रेखीय तथा समरूप है तथा साधनों की कीमतें स्थिर है तो उत्पादन के सभी स्तरों पर प्रति इकाई लागत स्थिर रहेगी।
➡️इस स्थिति में दीर्घकालीन औसत लागत वक्र क्षितिज के समानांतर सीधी रेखा की आकृति का होता है।
➡️दीर्घकाल में उत्पादन की सभी मात्राओं को समान न्यूनतम औसत लागत पर उत्पादित किया जाता है।
➡️वस्तु की OA मात्रा का उत्पादन करने के लिए SAC1 का, OB मात्रा उत्पादित करने के लिए SAC2 तथा OC मात्रा उत्पादित करने के लिए SAC3 का प्रयोग किया जाएगा।➡️दीर्घकालीन औसत लागत वक्र एक प्लेट की आकृति का होता है।
➡️उत्पादन के कुछ स्तर के बाद बड़े पैमाने की बचते समाप्त हो जाती है।
➡️उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि करने से बड़े पैमाने की हानियां नही होती।
दीर्घकालीन औसत लागत की U आकृति की व्याख्या :
➡️दीर्घकालीन औसत लागत वक्र पैमाने के प्रतिफल पर निर्भर करता है।
➡️आरंभ में पैमाने के बढ़ते प्रतिफल के कारण दीर्घकालीन औसत लागत उत्पादन के बढ़ने पर घटती है और कुछ सीमा के बाद पैमाने के घटते प्रतिफल के कारण यह बढ़ती है।
➡️पैमाने के बढ़ते प्रतिफल प्राप्त होने के कारण -
🔹जब फर्म अपने उत्पादन का पैमाना बढ़ाती है तो सभी साधनों की अधिक विशिष्ट और कार्यकुशल किस्मों का प्रयोग होता है जैसे पूंजी, उपकरण, मशीन आदि।
🔹जब उत्पादन मात्रा बढ़ाया जाता है तो श्रम विभाजन अधिक संभव होता है।
🔹बड़े पैमाने के बचते साधनो की अविभाज्यता के कारण होता है।
➡️पैमाने के घटते प्रतिफल प्राप्त होने के कारण -
🔹जब फर्म का आकार इतना बढ़ जाता है जिससे कि श्रम विभाजन की सभी संभावनाओं का प्रयोग हो चुका होता है तथा अधिकतम कुशलतम मशीन को लगता जा चुका होता है तथा और उत्पादन का विस्तार करने से प्रबंध की कठिनाइयों से प्रति इकाई लागत बढ़ जाता है।
🔹फर्म के बहुत बड़े आकर पर प्रबंध और वास्तविक उत्पादन करने वालो के बीच आदान प्रदान की कड़ी लंबी हो जाती है।
🔹फर्म को बड़े पैमाने पर हानियां प्राप्त होने लगती है।
➡️ उद्यमकर्ता और उसके नीति निर्धारक और अंतिम नियंत्रण के कार्य अविभिज्य है जिन्हे बढ़ाया घटाया नहीं जा सकता है
दीर्घकालीन सीमांत लागत🔥
➡️दीर्घकालीन सीमांत लागत वक्र दीर्घकालीन कुल लागत वक्र से सीधे तौर पर प्राप्त किया जा सकता है क्योंकि किसी उत्पादन मात्रा पर दीर्घकालीन सीमांत लागत उत्पादन की उस मात्रा पर कुल लागत की ढाल के बराबर होती है।
➡️दीर्घकालीन सीमांत लागत वक्र दीर्घकालीन औसत लागत वक्र से भी प्राप्त किया जा सकता है।
➡️एक दीर्घकालीन औसत लागत वक्र LAC हैं।
➡️यदि फर्म को दीर्घकाल में OA मात्रा उत्पादित करनी है तो वह दीर्घकालीन औसत लागत वक्र के बिंदु H पर काम करेगी जहां अल्पकालीन औसत लागत वक्र SAC1 को स्पर्श करती है तथा अल्पकालीन सीमांत लागत SMC1 हैं।
🔹उत्पादक SAC1 तथा SMC1 पर बिंदु N पर संतुलन में है।
🔹सीमांत लागत AN तथा औसत लागत AH हैं।
➡️यदि फर्म को OB मात्रा उत्पादित करनी है तो वह बिंदु Q पर उत्पादन करेगा जहां SAC2 तथा SMC2 पर औसत लागत QB तथा सीमांत लागत QB हैं।
➡️यदि फर्म को OB मात्रा उत्पादित करनी है तो वह बिंदु Q पर उत्पादन करेगा जहां SAC3 तथा SMC3 पर औसत लागत MC तथा सीमांत लागत CK हैं।
➡️N, Q, K स्पर्श बिंदुओं को मिलाने से दीर्घकालीन सीमांत लागत वक्र की प्राप्ति होती है।
दीर्घकालीन कुल लागत तथा विस्तार पथ🔥
➡️विस्तार पथ से कुल लागत वक्र को व्युत्पादित किया जा सकता है।
विस्तार पथ - उत्पादन मात्रा तथा साधनों की कीमत दी होने पर साधनों के उन संयोगो को दर्शाता है जिनसे उत्पादन की विभिन्न मात्राओं को निम्नतम संभव लागत पर उत्पादन किया जा सकता है।
➡️तीन समोत्पाद वक्र Q1, Q2 तथा Q3 तथा तीन सम लागत रेखा L1, L2 तथा L3 हैं।
🔹सम लागत रेखा की ढाल श्रम व पूंजी के कीमतों के अनुपात w/r के बराबर है।
➡️Q1 मात्रा उत्पादित करने के लिए OC1•w तथा OL1•r लागत उठानी पड़ेगी जिसे TC1 से दिखाया गया है।
➡️Q2 मात्रा उत्पादित करने के लिए OC2•w तथा OL2•r लागत उठानी पड़ेगी जिसे TC2 से दिखाया गया है।
➡️Q3 मात्रा उत्पादित करने के लिए OC3•w तथा OL3•r लागत उठानी पड़ेगी जिसे TC3 से दिखाया गया है।
➡️ TC1 , TC2 तथा TC3 पर स्थिर बिंदुओं को मिलाने से दीर्घकालीन कुल लागत वक्र व्युत्पादित होती है।
➡️सम लागत रेखा तथा समोत्पाद वक्रों के स्पर्श बिंदुओं को मिलाने से विस्तार पथ प्राप्त होता है।
➡️उत्पादन करने के लिए श्रम - पूंजी का अनुपात विभिन्न समोत्पाद वक्र पर भिन्न भिन्न होगा।
दीर्घकालीन कुल लागत से दीर्घकालीन औसत तथा सीमांत लागत🔥
➡️दीर्घकालीन औसत लागत वक्र को मूल बिंदु से LTC के विभिन्न बिंदुओं पर खींची गई रेखाओं से ज्ञात किया जाता है।
➡️दीर्घकालीन सीमांत लगता को LTC पर खींची गई स्पर्श रेखाओं के ढाल से ज्ञात किया जाता है।
➡️उत्पादन मात्रा OQ1 के अनुसार LTC के बिंदु D पर OD रेखा की ढाल से औसत लागत Q1D' खींचा गया है।
➡️उत्पादन मात्रा OQ2 के अनुसार LTC के बिंदु A पर OA रेखा की ढाल से औसत लागत Q2A' खींचा गया है।
➡️उत्पादन मात्रा OQ3 के अनुसार LTC के बिंदु B पर OB रेखा की ढाल से औसत लागत Q3B' खींचा गया है।
🔹D', A', तथा B' को मिलाने से दीर्घकालीन औसत लागत वक्र प्राप्त होता है।
➡️उत्पादन मात्रा OQ1 के अनुसार LTC के बिंदु D पर स्पर्श रेखा की ढाल से सीमांत लागत Q1D'' खींचा गया है।
➡️उत्पादन मात्रा OQ2 के अनुसार LTC के बिंदु A पर स्पर्श रेखा की ढाल से सीमांत लागत Q2A'' खींचा गया है।
➡️उत्पादन मात्रा OQ3 के अनुसार LTC के बिंदु B पर स्पर्श रेखा की ढाल से सीमांत लागत Q3B' खींचा गया है।
🔹D'', A'', तथा B' को मिलाने से दीर्घकालीन सीमांत लागत वक्र प्राप्त होता है।
LAC तथा LMC में संबंध :
➡️जब LAC वक्र नीचे की ओर गिरता है तो LMC वक्र उसके नीचे होता है।
➡️जब LAC वक्र ऊपर की ओर चढ़ रहा होता है तो LMC वक्र उसके ऊपर होता है।
➡️LMC वक्र LAC वक्र को उसके निम्नतम बिंदु पर काटता है।