शिथियन आक्रमण एवं प्रभाव Shithiyansh aakraman evam prabhav Notes in Hindi
शिथियन्स : आक्रमण एवं प्रभाव
➤पश्चिमी भारत के शक क्षत्रय दूसरी शताब्दी ई . पू . में इन्डो - ग्रीक ( हिन्द - युनानी ) अथवा इन्डो - बैक्ट्रीयन शासकों ने सिन्ध , सौराष्ट्र तथा राजस्थान फेछ भाग को जीत लिया ।
➤इससे अगली शताब्दी में पूर्वी ईरान के सीथियनों ने अपने आप को सिन्ध के निचले भाग में स्थापित करते हुए साराष् तथा उसके साथ लगे क्षेत्रों में अपना प्रभाव जमा लिया ।
➤सीथियन शासकों ने पश्चिमी भारत के बहुत बड़े भाग पर बहुत लम्बे समय तक अधिकार जमाए रखा ।
➤ गुप्त वंश के आरम्भिक शासकों के समय में भी पश्चिम भारत में सीथियन शासक सशक्त और नक शक्ति का हास तभी हुआ जब चन्द्रगुप्त द्वितिय ने इन शासको को हरा कर पश्चिमी भारत को गुप्त साम्राज्य में मिला लिया।
पश्चिम भारत में शिथियन्स शक्ति का उदय :
➤पश्चिमी भारत में सीथियन शासन का उल्लेख सर्व प्रथम पेरीप्लस ( C.A.D. 70-80 ) में मिलता है।
➤इस पुस्तक में निचली सिन्धु घाट को सीथिया अर्थात सीथियनों का प्रदेश कहा गया है ।
➤ यद्यपि इस प्रदेश पर पार्थियन शानका का अधिकार था जिनकी राजधानी मिन - नगर थी।
➤तथापि पैरीप्लस एक शक्तिशाली शासक माम्बरस का उल्लेख करती है , जिसकी शक्ति का केन्द्र एक दूसरा मिन नगर था तथा जो सम्भवतः एक सीथियन था ।
➤ऐसा प्रतीत होता है कि माम्बरस का वश मूलत सीर्थिय शासकों के शासकों के अधीनस्थ था परन्तु पार्थियन शासक एजेज- II के पश्चात व्यवहारिक तौर पर सिन्धु घाटी के निथल भाग का स्वतन्त्र शासक बन गया ।
➤पैरीप्लस के वर्णन से यह पता चलता है कि माम्बरस के साम्राज्य में सौराष्ट्र , गुजरात तथा राजस्थान के कुछ भाग सम्मिलित थे ।
➤सन्दरी न अन्त जो कि इस समय सात वाहनों से जीता गया था , में मैम्बरस का वायसराय था ।
➤ कुछ विद्वान यह सुझाव देते हैं कि माम्बरस नाम्बनस का बिगड़ा हुआ रूप है तथा यह नाम्बनस भी ग्रीक भाषा में नैहपान का ही बिगड़ा हुआ नाम है ।
➤परन्तु हम यह जानते हैं कि एक क्षत्रय के रूप में नैहपान ने लगभग 119 ई . से 125 ई . तक शासन किया तथा इस आधार पर इन विद्वानों का उपरीक वर्णित सुझाव गलत ही प्रतीत होता है ।
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Ancient Indian History